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( १.३ )
अथ द्वितीय भाग प्रारम्भः
॥ अथ प्रथमं देवाङ्गम् ॥
अथ १ प्रथम तो समदृष्टि विवेकवान् पुरुष समय सूत्र द्वारा देवों के स्वरूप की लक्ष्यता करें ते देव कौन से हैं:___ श्री अरिहन्त देव अर्थात् अरि नाम वैरी (अज्ञान मोह रूप) हन्त नाम तिनको हनके अरिहन्त नाम संज्ञा से प्रगट भये, तिन के अनन्त गुण कहे हैं परन्तु सुयगडाङ्गजी, समवायाङ्गजी, उववाईजी, भगवतीजी, इत्यादि अनेक सूत्रों में पण्डित श्री ५ सुधर्मस्वामीजी ने कुछक गुण वर्णन करे हैं, यथा सुय गडाङ्ग प्रथम श्रुतस्कन्ध के ६ टे अध्ययन की