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थापवाना दंड कह्याछै इस प्रमाणते एही संभव होता है मुख बांधणाछे ते आपणा छंदाछे इति ॥
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यह देखो कैसा अर्थ का अनर्थ करदिया है क्योंकि पाठ में तो एक भेद है और अर्थ में दो भेद कर दिए हैं सो अब हम पाठ और अर्थ लिखदिखाते हैं पाठ ॥ कणोंडिया एवा मुहणत गेणवा विणा इरीयं पड़िकम्मे मिलकड़ पुरिमट्ठयां ॥ अर्थ (कणो टियाएवा) कानों में स्थापन करे (विण ) विना याने कानों में बांधे बिना क्या चीज़ बांधे विना ( मुहणंतगेणवा ) मुखपत्ति याने कानों में मुखपत्ति बांधे विना ( इयंपड़िकम्मे ) इरिआवहिपड़िकम्मेतो ( मिछुकड़ें ) मिच्छा - मिदुक्कडंदे ( पुरिमा ) अथवा पुरिमट्ठ याने दो पहर तप का दंड आवै इत्यर्थः इस