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भी तो नाम निक्षेपा ही है ॥ तो हम उत्तर देंगे कि वाहजी वाह ।। तुम ने जैसे पण्डित होकर नाम निक्षेपा और नाम लेने का भेद भी नहीं जाना क्योंकि नाम लेना तो भाव गुणों का स्मरण है जैसे कि राजा बड़ा दयालु (कृपालु ) है और बड़ा न्यायकारी है इत्यादि यह गुणों की भावरूप स्तुति का करना है। किम्बा नाम निक्षेपा है १ अपितु भाव गुण है नाम निक्षेपा नहीं, नाम निक्षेपा तो वह होता है कि जो पूर्वक सुचित अचित वस्तु का नाम रक्खा जाय इति हेम और जो तुम ऐसे कहोगे कि नाचना, कूदना, गाना, बजाना, और साधु को ढोल ढमाके से शहर में प्रवेश कराना यह जैनधर्म की प्रभावना है।
उत्तरपक्षी-किस न्याय से ?