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| थाप लेना कि यह मेरा अमुक पदार्थ है सो
स्थापना निक्षेप ॥ (३) जो गुण रूप कार्य | होने का उपादानादि कारण होय सो द्रव्य नि
क्षेप ॥ (४) जो गुणदायक लाभदायक कार्य रूप होय सो भाव निक्षेप कहलाता है। इति ॥अब दृष्टान्त सहित खुलासा लिखते ॥ हैं ॥ यथा (१) एक पुरुष का नाम राजा । है उसमें राजा का नाम निक्षेप पाईए परन्तु | वह राजा नहीं क्योंकि उस पै मुकद्दमा लेके कोई भी आता नहीं । (२) दूसरे काठ पाषाण वा चित्राम का राजाथाप लिया जावे | जैसे कि यह रणजीत सिंह राजाहै तथा राजे की मूर्ति है सो उसमें राजा का स्थापना निक्षेपा पाइए। परन्तु वह भी राजा नहीं क्योंकि उस पैभी मुकद्दमा आदिराज कार्य की सिद्धि