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नाचे नहीं फल फूल आदि चढ़ाते थे न पहाड़ों की यात्रा करने गये और न गृहस्थ अवस्था में बैठे तीर्थङ्कर देव को बन्दने वा पूजने को गये इत्यादि ॥ और जो तुम कहोगे कि हम चारों निक्षेपों को वन्दे पूजे हैं तो हम उत्तर देंगे कि नहीं । झुठ बोलते हो तुम चारों निक्षेपों को नहीं पूजते क्योंकि जिस सुचित
अचित वस्तु का नाम निक्षेप है कि हे महावीर० जैसे किसी लड़के का नाम महावीर होय तो उसको तुम बन्दते, पूजते नहीं हो क्योंकि अनुयोग द्वार सूत्र में चार निक्षेपे चले हैं, सो ये हैं यथा (१) नाम निक्षेप, जो
सुचित, अचित वस्तु का नाम रखा गया !(थापा) हो यह नाम निक्षेप ॥ (२) जो | काष्ठ तृण पापाण कौड़ी आदि वस्तु को