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|| नाचना गाना बजाना इत्यादि कथन मुख्य रक्खे हैं सो हम यहां तर्क करते हैं कि ऐसी पूजा तो सरागी देवों की है यथा सीताराम जी की मूर्ति की, तथा राधाकृष्ण जी की मूर्ति की तथा शिवशक्ति की मूर्ति, आदि की सो ये सरागी देव हैं क्योंकि इनके काम भोगादि सामग्री स्त्री आदिक प्रत्यक्ष संयुक्त हैं सो इनकी तो फूल, फल राग रङ्ग, होम, भोग, नाच नृत्य, रूप भक्ति अर्थात् पूजा उन्ही के शास्त्रानुसार औरउन्हीं के मत बमूजिव योग्य है क्योंकि उनके शास्त्रों में से उनके देवों कास्वरूप सराग, सकाम, सक्रोध, प्रकट होता है जैसे कि गोपी बल्लभ, शङ्ख चक्र गदाधारी धनुर्धारी, राक्षस रिपु मर्दन इत्यादि । और जैन में जो देव, ऋषभदेव