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| पण्डिताई किधर ही को घुसड़ जाती है जैसे कि आर्य दयानन्द सरस्वती की रचाई हुई सत्यार्थप्रकाश नाम पोथी में जैन के बारे में कई एक झूठी बातें लिखी थीं तो फिर उस को एक जैनी भाई ठाकुरदास ने बहुत तंग किया था तो वह अपने असत्य लेख को मान गया था, सो इसलिये पण्डित पुरुष को-ग्रन्थ में झूठ लिखना न चाहिये और जो आत्माराम संवेगी इन दिनों में गुजरातियों का शाहूकारा देखकर मुखपत्ती उतार के गुजरात देश में पड़ा फिरता है सो उसने जैन तत्वादर्श ग्रन्थ में अनेक ही झूठ लिख धरे हैं यदि (जेकर) तुम न मानों तो भला हमारे पूर्वक दर्शाये हुए विरोधों में से दो तीन विरोंधों का तो सूत्र द्वारा जवाब देवो । जैसे कि