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ज्ञान और कर्म ।
[प्रथम भाग
सकती है। किन्तु किसी किसी जगह पर्यवेक्षण ही एकमात्र उपाय है. परीक्षा असाध्य है । जैसे, सूर्यके भीतरके काले धब्बे क्या हैं, यह जाननेके लिए पूर्वजण्डलको नित्य अच्छी तरह देखने और सर्वग्रास-ग्रहणके समय उसकी अवस्थाको दूरबीन आदिके द्वारा देखनेके सिवा यह साध्य नहीं है कि हम अवस्था-परिवर्तन-पूर्वक सूर्यमण्डलकी परीक्षा कर सकें । ___ अनुशीलनके उद्देश्य अनेकविध हैं । जैसे, कभी नवीन तत्त्वका आविष्कार, कभी पहले जिनका आविष्कार हो चुका है उन तत्त्वोंके परस्पर-सबन्धका निर्णय, कभी अनुशीलनकर्ताका और साथ साथ सर्वसाधारणका ज्ञानलाभ, कभी जनसाधारणके लिए सुखदायक वस्तु पैदा करना अथवा सर्वसाधारणके लिए हितकर कार्यका अनुष्ठान, इत्यादि । कोई यश पानेके लिए साहित्यका अनुशीलन और काव्यकी रचना करता है, कोई यश और धनकी प्राप्तिके लिए वैज्ञानिक तत्त्वोंका अनुशीलन करता है, कोई जीवोंको रोगमुक्त करनेके उद्देश्यसे जीव-तत्त्वके अनुशीलनमें लगा हुआ है, कोई इन सब पार्थिव विषयोंको छोड़कर मुक्तिलाभके लिए ब्रह्मज्ञानका अनुशीलन करता है। ये सब बातें अनेक हैं, और यहाँपर इनकी आलोचना भी अनावश्यक है। जिन कई एक विषयोंका अनुशीलन अत्यन्त आवश्यक जान पड़ता है, केवल उन्हींका उल्लेख यहाँपर किया जाता है।
(१) ज्ञानोपार्जनके लिए स्मृतिशक्तिका अत्यन्त प्रयोजन है। उस शक्तिको बढ़ानेके लिए कोई यथार्थ उपाय है कि नहीं, शरीर-विज्ञान और मनोविज्ञानके ज्ञाता पण्डितोंके द्वारा इस विषयका अनुशीलन अत्यन्त आवश्यक है । क्योंकि उसका फल शिक्षार्थी लोगोंके लिए अत्यन्त उपकारक हो सकता है। इसीके साथ और एक विषयका अनुशीलन वाञ्छनीय है। वह विषय यह है कि स्मृतिशक्ति और विवेकशक्ति परस्पर विरोधी हैं कि नहीं? कोई कहते हैं-" जहाँ स्मृति प्रबल है वहाँ बुद्धि क्षीण है, और जहाँ बुद्धिउज्ज्वल है वहाँ स्मृतिशक्ति मलिन है।" फिर कोई कोई इस बातको संपूर्णरूपसे अस्वीकार करते हैं, और यह दिखाते हैं कि अनेक असाधारण बुद्धिमान् पुरुष प्रबल स्मृतिशक्ति-सम्पन्न थे।
(१) Pope's Essay on Criticism कविताकी चार पंक्तियोंका यह अनुवाद है।