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-ज्ञानकी सीमा ।
अन्तर्दृष्टिकी शक्ति सीमाबद्ध है -- इन्द्रियोंकी शक्ति भी वैसी ही है - ' क्या' और ' क्यों ' इन दो प्रश्नोंका उत्तर—विषयका स्वरूपज्ञान असम्पूर्ण है-— मनोनिवेश और विज्ञान चर्चासे ज्ञानकी सीमा बढ़ती है— स्वरूप और निर्णय कठिन है, पर नियम निर्णय अपेक्षाकृत सहज है
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६- ज्ञानलाभके उपाय ।
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शिक्षा -- शिक्षा के विषय - शारीरिक शिक्षा — पोशाक ——व्यायामनिद्रा और विश्राम - शारीरिक शिक्षाकी आवश्यकता मानसिक शिक्षा — नैतिक शिक्षा आत्मविज्ञान गणित - मनोविज्ञान – जडविज्ञान — जीवविज्ञान नैतिक विज्ञान — भाषा – साहित्य और शिल्प — इतिहास -- समाज - नीति -- अर्थनीति — राजनीति — व्यवहारनीति — धर्मनीति शिक्षाप्रणाली — वह भिन्नभिन्न देशों और समयोंमें कैसी थीशिक्षाप्रणाली के कुछ नियम — शिक्षाके उद्देश्य - प्रयोजनीय ज्ञान और सर्वाङ्गीण उत्कर्षसाधन - विशेष ज्ञान - शिक्षा यथासाध्य सुखकर होना चाहिए - शिक्षार्थीकी शक्तिके अनुसार शिक्षाजो कुछ सिखाया जाय अच्छी तरह सिखाया जाय-सब काम यथानियम और यथासमय करनेकी शिक्षा -- भ्रमसंशोधनशिक्षार्थीके लिए आत्मसंयम आवश्यक है— पहले वाचनिक और मातृभाषाशिक्षा आवश्यक है- क्रमशः पढ़ने लिखनेकी शिक्षारेखागणितकी शिक्षा — भाषा और रचना - शिक्षा के विशेष नियमसाहित्यिक और वैज्ञानिक रचनाप्रणाली - जातीयशिक्षा शिक्षा के सामान — शिक्षक — विद्यालय — छात्रनिवास — विश्वविद्यालय — पुस्तक—पाठ्यपुस्तकोंके आवश्यक गुण और दोष - पुस्तकालय -- प्रेस - - परीक्षायें अनुशीलन — उसके अनेक उद्देश्य -स्मृतिशक्तिकी वृद्धि के उपाय निकालना -- भाषाशिक्षाके प्रशस्त उपाय निकालना - शास्त्रतत्त्वोंको सरल प्रमाणोंसे सिद्ध करनेकी चेष्टा – वैद्यक और हकीमीकी औषधपरीक्षा - अपराधियोंका सुधार
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