________________
१४
3
३-अन्तर्जगत्।
अन्तर्जगत्का स्वरूप-संज्ञाके बाहर भी ज्ञानकी परिधि है-आत्मज्ञान और आत्मा अनात्माका भेदज्ञान-इन्द्रियाँ और उनकी जुदा जुदा क्रियायें-इन्द्रियस्फुरणद्वारा प्रत्यक्षज्ञान-अन्तर्जगत्की अन्यान्य क्रियायें ... ... ... ... ... २७ स्मृतिके विषय, कार्य, नियम और उसकी हासवृद्धि - ... कल्पनाके विषय, नियम-बुद्धिके कार्य-ज्ञात विषयोंका श्रेणीबद्ध करना-वस्तुओंका जातिविभाग-जाति क्या केवल नाममात्र है-नाम या शब्द या भाषा विषयोंके सोचने में सहायक हैं ... भाषाकी सृष्टि कैसे हुई ?-भाषाके कार्य ... ... ४० श्रेणीविभागके नियम-ज्ञातविषयोंसे नूतन विषयोंका निरूपणसमान्य और विशेष अनुमान ... ... ... स्वतःसिद्ध तत्त्व, निर्विकल्प और सविकल्प ज्ञान और उनके कारण
-अनुमानके नियम ... ... ... ... कर्तव्याकर्तव्यनिर्णय–अनुभव-स्वार्थपर और परार्थपर भावषडरिपु-स्वार्थ परार्थका विरोध और मिलन-सुखदुःख ... ५० इच्छा--प्रवृत्ति और निवृत्ति-निवृत्तिमार्गगामीकी प्रधानतामनुष्यकी पूर्णताका लक्षण-प्रयत्न या चेष्टा-कर्ता स्वतंत्र नहीं
है-कर्ताका प्रकृतिपरतंत्रतावाद ... ... ... ५४ ४-बहिर्जगत्।
इस अध्यायका आलोच्य विषय-बहिर्जगत् और तद्विषयक ज्ञान यथार्थ है या नहीं ?-बहिर्जगत्का उपादान-इस विषयमें अनेक मत-बहिर्जगत्के ज्ञान और ज्ञेय वस्तुके स्वरूपका सम्बन्ध ६२ बहिर्जगत्के विषयोंका श्रेणीविभाग-बहिर्जगत्के विषयमें कुछ वि. शेष बातें-ईथरकी गति-तिका कारण शक्ति और शक्तिका मूल चैतन्यकी इच्छा-जीवजगत्की क्रिया-क्रमविकाश या विवर्तवाद ... ... ... ... ... ७१ जीवजगतकी क्रियायें-अज्ञान और सज्ञान-जगत्की गति और स्थितिका आवर्तन-जगत्में शुभाशुभका अस्तित्व-जगत् में अशुभ क्यों है ?--अशुभका प्रतिकार है या नहीं ? ... ... ७९