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________________ ३२८ आलोचना-खड "नायक मोह नचावीयउ, हुँ नाच्चउ दिन रातो रे ।। चउरासी लख चोलणा, पहरिया नव नव भात रे ।। १ ।। काछ कपट मद घूघरा, कंठि विषय वर मालो रे । नेह नवल सिरि सेहरउ, लोभ तिलक दै भालो रे !॥ २ ॥ भरम भुउण मन मादल, कुमति कदा ग्रह नालो रे । क्रोध कणउ कटि तटि वण्यउ, भव मंडप चलसालो रे ॥ मदन सबद विधि ऊगटी, ओढी माया चीरो रे । नव नव चाल दिखावतइ, का न करी तकसीरो रे ॥ ३ ॥"? संत और जैन कवियों की गुरु संबंधी मान्यताओं का विश्लेषण सिद्ध, सन्त, नाथ तथा जैन कवियों ने गुरु की महिमा को भी मुक्तकण्ठ से स्वीकार किया है। गुरु के ही प्रसाद से भगवान के मिलने की बात सभी ने स्वीकार की है । कबीर ने गुरु को इसलिए बड़ा बताया कि उन्होंने गोविन्द को बता दिया । सुन्दरदास के दयालु गुरु ने भी आत्मा को परमात्मा से मिला दिया है ।२ दादू को भी "अगम अगाध" के दर्शन गुरु के प्रसाद से ही होते हैं ।३ किन्तु गुरु के प्रति संतों की ये सब उक्तियां "ज्ञान" के अंग है, भाव ने नहीं । जैन गूर्जर कवियों ने अपने गुरु-आचार्यों के प्रति जिस भाव-विह्वल पदावली का प्रयोग किया है, वह जैन-संतों की सर्वथा नवीन उपलब्धि है। जहां सन्तों में तथ्यपरकता विशेष है, वहां जैन कवियों में भावपरकता ऊंची हो उठी है। महाकवि समयसुन्दर का गुरु राजसिंहसूरि की भक्ति में गायागीत, कुशललाभ का आचार्य पूज्यवाहण की भक्ति में गाया गीत आदि इसके ज्वलंत प्रमाण हैं। ४ इन गीतों में गुरु के विरह में शिप्य की जो बेचैनी और मिलन में अपार प्रसन्नता व्यक्त हुई है, वह अन्यत्र नहीं मिलती। निगुणिए संतों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। इन जैन कवियों में गुरु के प्रति भी सच्ची भावपरकता, भगवान की ही भांति मुखर उठी है। __इस भांति इन जैन-गूजर कवियों में तथा संत या भक्त कवियों में विचार प्रणाली की ही दृष्टि से नहीं, अपितु शैली, प्रतीक योजना तथा उनकी साधना-प्रणाली १. जिनराजमूरि कृत कुसुमांजलि, पृ० ५-६ । २. डॉ० दीक्षित, मुन्दर दर्शन ( इलाहाबाद ). पृ० १७७ । ३. संत सुधासार, गुरुदेव को अंग, पहली साखी, पृ० ४४६ । ४. अगरचन्द नाहटा संपादित "ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह," पृ० १२९ तथा ११६-११७ ।
SR No.010190
Book TitleGurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHariprasad G Shastri
PublisherJawahar Pustakalaya Mathura
Publication Year1976
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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