SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन गूर्जर कवियो की हिन्दी कविता . १८३ परम्परा के प्रश्रय एवं साध्य को पूर्ण करने के हेतु शृंगार वर्णन एवं नखशिख वर्णन के प्रसंग प्रसंगतः। अनेक स्थलों पर आए हैं। कवि समयसुन्दर ने अपनी "सीतारामः चौपाई" में गर्भवती सीता का रूप-वर्णन बड़े संयत भाव से किया है "वज्रजंघ राजा घरे, रहती सीता नारि, गर्भ लिंग परंगट थयो, पांडुर गाल प्रकारि। थण मुख श्याम पणो थयो, गुरु नितंव गतिमंद, : . नयन सनेहाला थया, मुखि अमृत रसविंद ॥"१ .. चन्द्रकीति का 'जयकुमार आख्यान'२ मूलतः वीर रस प्रधान काव्य है; परन्तु उसमें शृंगार एवं शांतरस का सुन्दर नियोजन है। सुलोचना के सौंदर्य का वर्णन करता हुआ कहता है "कमल पत्र विशाल नेत्रा, नाशिका सुक चंच । अष्टमी चन्द्रज · माल सौहे, वेणी नाग प्रपंच ॥ सुन्दरी देखी तेह राजा, चिन्त में मन मांहि । सुन्दरी सुर सुन्दरी, किन्नरी किम कहे वाम ॥". - कवि रत्नकीर्ति के "नेमिनाथ फागु" में राजुल की सुन्दरता का भी एक चित्र देखिए_ "चन्द्रवदनी मृग लोचनी मोचती खंजन मीन । वासंग जीत्यो वेणई, श्रेणिय मधुकर दीन || युगल गल दाये शशि, उपमा नासा कीर । अधरं विदुम सम उपमा, दन्तं नू निर्मल नीर ।। । चिवुक कमल पर षट्पद, आनंद करे सुधापान । - . . गोवा सुन्दर सोमती, कम्बु कपोल ने वान ॥"३. संस्कृत काव्य परम्परानुसार स्त्री सुलभ रूप वर्णन के कुछ प्रसंग स्वाभाविक पे हैं । नायिका भेद और रूप वर्णन में इन कवियों ने कुछ कौशल मी दिखाए हैं। वासकसज्जा का ईक उदाहरण देखिए- .. ... "कहु सोहती . एक वासीक सेजा, : .. ... . . . सोई धरती हे मीलन कु. कंत हैजा। . . . ... १: समयसुन्दर, सीताराम चौपाई। २. चंद्रकीति, जयकुमार आख्यान । - ३. यशःकीर्ति-सरस्वती भवन, ऋषभदेव की प्रति । .
SR No.010190
Book TitleGurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHariprasad G Shastri
PublisherJawahar Pustakalaya Mathura
Publication Year1976
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy