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परिचय-खंड
इनकी दूसरी हिन्दी कृति "बंगाल देश की गजल" में वंगाल के मुर्शिदाबाद नगर का वर्णन है। इस कृति की रचना संवत् १७८२ से १७९५ के बीच अनुमानित है ।१ इसमें कुल ६५ पद्य हैं । भापा-शैली की दृष्टि से एक पद्य द्रष्टव्य है
“यारो देश गांला खूब है रे, जहां वहय भागीरथी आप गंगा। जहां शिखर समेत परनाथ पारस प्रभु झाडखंडी महादेव चंगा।
गजल वंगाल देश की, भाखी जती निहाल,
मूरख के मन ना वसे, पंडित होत खुसाल ॥६५॥" अव यह कृति अपने ऐतिहासिक सार के साथ प्रकाशित है ।२
१. राजस्थान में हिन्दी के हस्तलिखित ग्रंथों की खोज, भाग २, पृ० १५२ । २. भारतीय विद्या, वर्ष १, अङ्क ४, पृ० ४१३-२६ ।
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