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प्राचीन आचार्य परम्परा प्राचार्यश्री ने कई ग्रन्थों का निर्माण किया है। जिसमें प्राचार्य समन्तभद्रकी प्राप्तमीमांसा पर उन्होंने अष्टशती टीका लिखी । तत्वार्थ सूत्र पर राजवार्तिक टीका लिखी । सिद्धिविनिश्चय, न्याय विनिश्चय, प्रमाणसंग्रह ये तीनों ग्रन्थ उनकी सवल तर्कणा शक्ति के परिचायक हैं।
अजेयवाद शक्ति, अतुल प्रतिभावल एवं मौलिक चिन्तन पद्धति से प्राचार्य अकलंक भट्ट कोविद कुल के अलंकार थे।