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दिगम्बर जैन साधु
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मुनि श्री विवेकसागरजी महाराज द्वारा
दीक्षित शिष्य
मुनि श्री विजयसागरजी मुनि श्री विनयसागरजी
मुनि श्री विजयसागरजी महाराज आपका जन्म खाचरियावास ( सीकर-राजस्थान ) ग्राम में श्री उदयलालजी गंगवाल की धर्मपत्नी श्रीमति धापूबाईजी की मंगल कुक्षि से भादवा सुदी १० रविवार सं० १९७२ को हुवा था। आपका जन्म नाम श्री जमनालाल रक्खा गया। लौकिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी आपने बाल्यकाल में की । बचपन के संस्कार प्रागामी जीवन में भी काम आये । आपने मुनि विवेकसागरजी महाराज से रेनवाल ( किशनगढ़ ) में माघ सुदी पंचमी संवत् २०२६ को मुनि दीक्षा धारण की । आप अहनिश धर्म साधन कर रहे हैं।
मुनि श्री विनयसागरजी महाराज
जयपुर जिले के 'दूटू' कस्वे के श्रावक शिरोमणि श्री गेन्दीलालजी बोहरा की धर्मपत्नी गैन्दीबाई की कोख से आपका जन्म हुवा । आपका बचपन का नाम रतनलालजी था। आप ३ भाई थे, आप सबसे बड़े हैं। प्रारम्भ से ही धार्मिक कार्यों में आपकी अधिक रुचि रही है। कस्बे में शिक्षण व्यवस्था की कमी होने के कारण आप अधिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाये । १३ वर्ष की उम्र में आपका विवाह चिरोंजाबाई के साथ हो गया। गृहस्थ जीवन में आपने व्यापार किया । क्रमशः मुनि वर्धमानसागरजी क्षु० सिद्धसागरजी, मुनि विजयसागरजी से २-५-७ प्रतिमा धारण की । सं० २०३३ में नावों में मुनि विवेकसागरजी से वैसाख बदी दूज को मुनि दीक्षा धारण को । आप जैन धर्म की अपूर्व प्रभावना कर रहे हैं।
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