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दिगम्बर जैन साधु
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मुनि श्री विजयसागरजी महाराज द्वारा
दीक्षित शिष्य
मुनि श्री विमलसागरजी क्षुल्लक श्री ज्ञानानन्दसागरजी
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श्री विजयसागरजी महाराज SARNAMEANAMAMAYANAMAHAMARNAMANANE
मुनि श्री विमलसागरजी महाराज
ग्वालियर राज्य के समीप महापनो नामक ग्राम में सेठ भीकमचन्द्रजी जैसवाल के यहां सं० १९४८ में केसरीलाल पुत्र का जन्म हुआ। इनकी माता का नाम श्रीमती मथुरादेवी था ८ वर्ष की अवस्था में इनके पिता का स्वर्गवास हो गया, इनके छोटे तीन भाई थे । इन सबका भार इन्हीं के ऊपर था । आप बचपन से ही स्वाध्याय के प्रेमी थे। सं० १९६८ में पहली शादी हुई। पत्नी का देहान्त हो जाने के कारण दूसरा विवाह सं० १९७७ में हुआ दूसरी पत्नी का देहान्त सं० १६६२ में हो गया। आपमें वीतराग भाव जागा। सं० १९९३ में दूसरी प्रतिमा का व्रत धारण किया। परिणामों में निर्मलता पाई और सं० १९९७ में श्री १०८ मुनि विजयसागरजी से क्षुल्लक दीक्षा ले ली। उसके