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दिगम्बर जैन साधु
आर्यिका विजयमति माताजी
आपका जन्म पिड़ावा ( राजस्थान ) जिला झालावाड़ में सन् १९२८ को हुवा था । आपके पिता का नाम राजमलजी था तथा माता का नाम कस्तूरीबाई था । श्रापका गृहस्थावस्था का नाम अहिल्याबाई था। गुरु के प्रवचनों से आपके अन्दर श्रात्म ज्ञान जागृत हुवा तथा मुनि सन्मति - सागरजी से राजस्थान कोटा कार्तिक सुदी ३ सं० १९३२ को आर्यिका दीक्षा धारण की। आप राजस्थानी भाषा की जानकार हैं निरन्तर आत्म कल्याण हेतु स्वाध्याय मनन् चिन्तन में निरत हैं ।
आर्यिका नेमवती माताजी
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आपका जन्म मई सन् १९३० ई० में फफोत ( टून्डला ) श्रागरा उत्तरप्रदेश में हुवा था । आपके पिता व्यापारी थे उनका नाम श्री प्यारेलालजी जैन तथा माता का नाम श्रीमती जयमाला देवी था । सामान्य लौकिक शिक्षा प्राप्त की थी । दिगम्बर जैन साधुओं के प्रवचन सुनकर वैराग्य हुवा तथा प्रा० श्री सन्मतिसागरजी से १५ अप्रेल १६७५ ई० कलकत्ता में दिगम्बरी दीक्षा ले ली । श्राप कठोर तपस्वी जीवन व्यतीत कर रही हैं, निरन्तर व्रतोपवास धर्म साधना में तल्लीन रहती हैं । आपका पूर्व नाम विहुबाई था ।
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श्रायिका अजितमति माताजी
पू० माताजी का जन्म सीकर जिले में खुर नामक ग्राम में हुवा था । श्रापने आ० सन्मतिसागरजी महाराज से ४ वर्ष पूर्व आर्यिका दीक्षा धारण की ।