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दिगम्बर जैन साधु आर्यिका पार्श्वमती माताजी
____आपका जन्म पाणूर जिला उदयपुर निवासी नरसिंहपुरा जाति के श्री हुकमचन्दजी एवं माता श्री केसरबाई के घर में हुआ। गृहस्थावस्था का नाम सागरवाई था । आपके ४ बहिनें तथा एक भाई है। आपके पतिदेव श्रीपाल जैन कूड़ के निवासी थे । आपने धार्मिक भावों से प्रेरित होकर सं० २०२४ फाल्गुन सुदी १२ को पारसोला में क्षुल्लिका दीक्षा तथा वीर सं० २४६६ में कार्तिक सुदी.२ को श्री सम्मेदशिखर पर आर्यिका दीक्षा आचार्य श्री १०८ विमलसागरजी से ग्रहण की । आप बहुत ही स्वाध्याय प्रिय जप, तप में लीन रहने वाली शान्त प्रवृत्ति की साध्वी हैं ।
प्रापिका ब्रह्ममती माताजी आपका जन्म राजस्थान मेवाड़ के छाँड़ी ग्राम में हुआ था । आपके पिता का नाम श्री खूमजी दशा हूमड़ एवं माता का नाम श्रीमती चम्पादेवीजी था। आपकी संयम व्रतादि में स्वभाव से ही प्रीति थी । सन् १९७० में श्री १०८ आचार्य विमलसागरजी महाराज से आपने राजगृही में रक्षाबन्धन के पुनीत पर्व के दिन पूर्णिमा, श्रमरण नक्षत्र में प्रायिका दीक्षा ग्रहण की थी। आप ५ वर्ष तक तो आचार्य श्री के संघ में ही रहीं फिर प्राचार्य श्री के संघ से आप ईशरी आश्रम में आ गई। आपने १ चातुर्मास ईशरी में किया फिर आप श्री १०५ आर्यिका रत्न विजयमती माताजी के पास श्री सम्मेदशिखरजी में आ गईं अभी भी आप परम पूज्या श्री १०५ प्रायिका विजयमतीजी के साथ हैं ।