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दिगम्बर जैन साधु
सुनिश्री पार्श्वसागरजी महाराज
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परम पूज्य श्री १०८ पार्श्वसागरजी महाराज का जन्म कार्तिक सुदी ७ संवत् १९७२ को आगरा जिले के कोटला ग्राम में हुआ था । आपका दीक्षा पूर्व का नाम राजेन्द्रकुमार था । आपके पिताश्री का शुभ नाम श्री रामस्वरूपलाल एवं मातुश्री का जानकीबाई था । वर्तमान में श्रापकी आयु के ६८ वर्ष पूर्ण हो चुके हैं । आपकी जाति पद्मावत पुरुवाल थी। माता-पिता के आप अकेले पुत्र थे । आपके कोई अन्य भाई-बहिन नहीं हैं । लौकिक शिक्षा के अन्तर्गत मिडिल तक हिन्दी-उर्दू का ज्ञानार्जन किया । धर्म - शिक्षा के अन्तर्गत मुरैना विद्यालय से विशारद की पदवी धारण की ।
आप बाल ब्रह्मचारी हैं । पन्ना म० प्र० में पन्ना ग्राम में ही कार्तिक सुदी १२ तारीख १२ नवम्बर सन् १९५९ को सातवीं प्रतिमा धारण की । १२ मार्च १९६० को सोनागिरी सिद्ध क्षेत्र क्षुल्लक दीक्षा धारण की एवं श्रावण सुदी ८, सन् १९६१ को मेरठ उत्तरप्रदेश में मुनि दीक्षा धारण की ।
समस्त संयम एवं व्रतों में केवल एक आचार्य श्री १०८ विमलसागरजी महाराज आपके धर्मगुरू हैं । आपके परम तपस्वी होने का पता इसी बात से चल जाता है कि आपने अब तक लगभग ३००० उपवास कर लिये हैं ।