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[ ३४ ] संकष्ट में आप जैसे दानवीर समाज सेवी धर्मानुरागी मुनि भक्त व्यक्ति का मैं अत्यन्त आभारी हूं जिनके आर्थिक सहयोग से काफी समय से रुका हुआ इस ग्रन्थ के प्रकाशन का कार्य पूर्ण हो सका।
इसी प्रसंग में ग्रंथ के मुद्रक श्री पाँचूलालजी मालिक कमल प्रिन्टर्स को कोटिशः धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इस विशाल ग्रन्थ को कला पूर्ण ढंग से मुद्रित किया है प्रेस की अपनी कुछ असुविधाएं रहती हैं तथा वायदे के अनुसार अन्य मुद्रण कार्य भी करने होते हैं उन सवसे समय निकाल कर इस ग्रन्थ को उन्होंने प्रकाशित किया और हमारी प्रतिष्ठा को बढ़ाया।
___ इस ग्रन्थ के प्रकाशन का कार्य सबके सहयोग से हुआ है अतः प्रत्यक्ष व परोक्ष सभी महानुभावों का साधुवाद करता हूं भविष्य में भी इसी प्रकार सबका सहयोग मिलता रहेगा ऐसी कामना
विनम्र ब० धर्मचन्द्र शास्त्री
ज्योतिषाचार्य ( संघस्थ : आचार्य धर्मसागरजी महाराज )