________________
.
...
m
Mmsamun
दिगम्बर जैन साधु
[ ३१५ मुनिश्री ज्ञानभूषणजी महाराज
परम पूज्य विद्यालंकार बाल ब्रह्मचारी वाणी भूषण आचार्य रत्न देश भूषणजी महाराज के परम शिष्य दया निधान परम तपोनिधि आचार्य कल्प श्री १०८ ज्ञान भूषणजी का जन्म मध्य प्रदेश ग्वालियर स्टेट जिला मोरेना परगना अम्बाह ग्राम एसहा में शुभ नक्षत्र में हुआ। इनके पिता का नाम श्रीलाल व
माता का नाम सरस्वती था । सरस्वती देवी के कूख E
से तीन पत्र व एक पुत्री ने जन्म लिया। इनके बचपन का नाम श्री पोखेराम था तथा इनके बड़े भाई का नाम लज्जाराम व इनके छोटे भाई का नाम कपूरचंद था व बहिन का नाम रामदेवी रखा गया। इन सभी में पोखेराम अद्वितीय व कुलदीपक जन्में। पोखेराम का जन्म असाढ़ सुदी सप्तमी बुधवार की रात्रि में
वि० सं० १९७७ में हुआ था। श्री पोखेराम के पिता श्रीलालजी व्यापार के काम से कलकत्ता आया जाया करते थे। इनके घर में घी का तथा गिरवी रखने का व्यापार होता था। श्री पोखेराम ने केवल चार वर्ष तक स्कूल में शिक्षण प्राप्त किया व बाल्यकाल के व्यतीत होने के बाद आप अपने पिता के साथ कलकता जाने आने लगे और बाद में वहीं (कलकत्ता) में बहु बाजार में कपड़े की दुकान पर काम करने लगे, बचपन से ही धर्म में रूचि थी तथा हमेशा जिन मंदिर में सेवा पूजा करते थे । एक दिन रात्रि में सोते समय रात्रि के चार बजे एक भविष्य वोधक आश्चर्य जनक स्वप्न देखा, वह स्वप्न संकेत कर रहा था कि पोखेराम यह मार्ग तुम को सम्मेदशिखरजी का रास्ता बता रहा है इस मार्ग को छोड़कर अन्य मार्ग से न जाना । इनकी प्रवृत्ति शुरू से ही वैराग्य की ओर झुकी हुई थी।
'...
amanAcc
यह पहला अवसर था कि एक दिन यह शुभ सूचक स्वप्न देखा, प्रातः उठते ही उस स्वप्न का ध्यान कर बिना किसी को कहे दुकान बन्द कर सम्मेद शिखर की यात्रा करने व स्वप्न को सार्थक करने निकल पड़े। माघ शुक्ला पंचमी का दिन था, मीठी मीठी सर्दी भी थी, हावड़ा से गाड़ी में बैठ कर ईसरी स्टेशन पर उतर कर पैदल मार्ग से चल दिये । आपने स्वप्न में जो जो चिन्ह देखे थे वे अव प्रत्यक्ष दीखने लगे । जैसे जैसे मधुबन की ओर बढ़ते जा रहे थे कि स्वप्न की बातें स्मरण होती आ