________________
दिगम्बर जैन साधु
आर्यिका श्रुतमतीजी
[ २५७
आर्यिका श्रुतमती माताजी का पूर्व नाम सुशीला बाई था | आपका जन्म कलकत्ता में १४ अगस्त १९४७ में हुवा था | आपके पिता का नाम श्री फागुलालजी श्रावक ( वर्तमान में प्रा० क० श्री श्रुतसागरजी महाराज ) है तथा माता का नाम बसन्तीदेवी था । बचपन से धर्म प्रवृत्ति के. कारण आपने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत ले लिया । तथा आचार्य धर्मसागरजी महाराज से दूसरी प्रतिमा के व्रत धारण किए। आपने विशारद एवं शास्त्री की भी परीक्षा देकर ज्ञानार्जन किया । वर्तमान में पू० आदिमति माताजी से आप संस्कृत, न्याय, व्याकरण आदि का पठन पाठन करती रहती हैं ।
भ० महावीर स्वामी के २५०० वें निर्वाण दिवस के शुभ अवसर पर आपने भारत की राजधानी ऐतिहासिक नगरी दिल्ली में आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज से आर्यिका दीक्षा ली थी ।
मोह ममता को छोड़कर आप धर्म ध्यान- शास्त्र- स्वाध्याय को ही सर्वस्व समझने के लिए सभी को प्रेरणा दे रही हैं । श्रापने मुजफ्फर नगर, मदनगंज, पदमपुरी, भीलवाड़ा, लुहारिया आदि स्थानों पर चातुर्मास करके धर्म प्रभावना की ।