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दिगम्बर जैन साधु प्रायिका विनयमतीजी
श्री १०५ आयिका विनयमतीजी का बचपन का नाम राजमती था । आपका जन्म आज से लगभग साठ वर्ष पूर्व मड़ावरा (ललितपुर ) में हुआ था। आपके पिता श्री मथुराप्रसादजी थे। व माताजी सरस्वती देवी थी । आप गोला लारी जाति की भूषण थी । आपको धार्मिक एवं लौकिक शिक्षा साधारण ही हुई । आपका विवाह चर्तु भुजजी के साथ में हुआ। आपके दो भाई व तीन वहिनें थीं।
नगर में संघ का आगमन व प्रधानाध्यापिका सुमित्रावाई का दीक्षित होना आपके वैराग्य का कारण हुआ । आपने विक्रम संवत् २०२३ में कोटा में आचार्य श्री १०८ शिवसागरजी से आर्यिका दीक्षा ले ली । आपने उदयपुर, प्रतापगढ़ आदि स्थानों पर चातुर्मास कर धर्म प्रभावना की। आपने मीठा, नमक, दही आदि का त्याग कर दिया है। आप देश और समाज की सेवा में इसी प्रकार कार्यरत रहें, आप शतायु हों । यही हमारी कामना है ।
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क्षुल्लिका श्री सुव्रतमतीजी
आपका जन्म महाराष्ट्र के हिंगोली ग्राममें विक्रम सम्वत् १९६१ में हुआ था । आपके पिताका नाम श्री भगवान राव और माताका नाम श्रीमती सरस्वती देवी है । आप अपनी चार वहिनों और तीन भाइयोंमें ज्येष्ठ हैं । आपका नाम शान्तीवाई था।
जब आपकी उम्र मात्र ६ वर्ष की थी तब लोहगांवमें श्री अन्नारावजी के ज्येष्ठ पुत्र श्री मारोतीरावजी के साथ आपका पाणिग्रहण हुया, पर समय का खेल कि ६ माह बाद ही आपके पति का देहावसान हो गया।