________________
१८८ ]
दिगम्बर जैन साधु प्रायिका बद्धमतीजी
आपका जन्म वि० सं० १९६७ में जवलपुर में गोलापुरा जातीय श्री बसोरेलालजी की। धर्मपत्नी जमनाबाई की कोख से हुवा । आपका नाम कस्तूर वाई था। आपका वैवाहिक जीवन श्री कपूरचन्दजी के साथ सानन्द बीत रहा था लेकिन वचपन में आपकी शिक्षा प्रवेशिका तक आरा आश्रम में सम्पन्न होने के कारण बचपन से ही धर्म के प्रति आपकी प्रगाढ़ आस्था थी । सं० १९६३ में आपने जादर में आर्यिका माताजी धर्ममतीजी से क्षुल्लिका दीक्षा धारण कर ली । तत्पश्चात् सं० २०१७ में स्व० आचार्य श्री शिवसागरजी महाराज सा० से आपने आर्यिका दीक्षा लेकर ईडर, डूंगरपुर घाटोल, जयपुर, सांभर, फुलेरा, ब्यावर, अजमेर, सुजानगढ़, सीकर, कोटा, लाडनू, खुरई आदि स्थानों पर चातुर्मास करते हुये धर्म प्रभावना की।
आर्यिका आदिमतीजी
FREE
KHANNARO
का
FAST
NAME
...
winkambadministrawadi
श्री १०५ प्रायिका आदिमतीजी के बचपन का नाम अंगुरीवाई था । आपके पिता श्री जीवनलालजी हैं । माता भगवानदेवी हैं । गोपालपुरा (आगरा) को आपकी जन्मभूमि होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । आपने लौकिक शिक्षा कक्षा ८ वीं तक प्राप्त की और धार्मिक शिक्षा विशारद तक प्राप्त की। . पन्द्रह वर्ष की अवस्था में आपका विवाह हुआ तो सही पर भाग्य को यह स्वीकार नहीं था, इसलिए डेढ वर्ष बाद ही आपके पति को डाकू हमेशा के लिए ले भागे । अब आपको संसार दुखमय सूना सूना लगने लगा। आप कण्ठस्थ किये हिन्दी, संस्कृत भाषा के धर्म पाठों से अपूर्व शान्ति पाती थीं।
YSTEES
.
.
.