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________________ दिगम्बर जैन साधु श्रयिका शान्तिमतीजी [ 9419 श्री १०५ श्रार्थिका शान्तिमतीजी का गृहस्थ अवस्था का नाम कुन्दनवाई था । आपका जन्म आज से लगभग पचपन वर्ष पूर्व नसीराबाद ( राजस्थान ) में हुआ था । आपके पिता श्री रोडमलजी घे तथा माताजी बसन्तीबाई थी । आप खण्डेलवाल जाति के भूषण हैं। आपका जन्म गंगवाल परिवार में हुआ था। विवाह बम्ब गोत्रमें हुआ था । आपके परिवार में दो भाई हैं । आपकी लौकिक शिक्षा साधारण हुई | आपके पति हीरा जवाहरात का व्यावसाय करते हैं । घी १०५ आर्थिका सुपार्श्वमतीजी की सत्प्रेरणा से प्रभावित होकर आत्मकल्याण हेतु जयपुर में क्षुल्लिका दीक्षा ली। बादमें नागौर में श्री १०८ आचार्य वीरसागरजी से श्रर्यिका दीक्षा ग्रहण कर ली । श्रापके चातुर्मास पदमपुरी, सुजानगढ़, नागौर, अजमेर आदि स्थानों पर हुए । आपने दूध के अलावा पांचों रसों का त्याग कर दिया है । श्राप संयम और विवेक शीला हैं। देश और समाज को सम्मति के सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती रहें । 战
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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