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दिगम्बर जैन साधु . : आप तपस्विनी, स्वाध्यायशीला, व्यवहार कुशल, सौम्याकृति, शत्रुमित्र समभावी हैं । आपने पूरा जीवन संसारी प्राणियों को करुणावुद्धि पूर्वक सन्मार्ग दिखाने में तथा स्वयं कठोर तपस्या करने में लगाया। आपने सैकड़ों लोगों को ब्रह्मचर्य व्रत एवं प्रतिमा के व्रत देकर उन्हें चारित्र मार्ग में दृढ़ किया । आप शान्त और निर्मल स्वभाव की धर्मपरायण माताजी हैं।
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.. . . . . आर्यिका वासमतीजी
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- श्री १०५ आर्यिका वासुमतीजी के बचपन का नाम 'लाडवाई था । आपका जन्म आज से ७५ वर्ष पूर्व जयपुर (राजस्थान ) में हुआ था । आपके पिता का नाम चान्दूलालजी था जो सब्जीका व्यापार किया करते थे । आप खण्डेलवाल जाति के भूपण हैं। आपकी धार्मिक एवं
लौकिक शिक्षा साधारण हुई । प्राप वड़जात्या गोत्रज हैं। .... अापका विवाह श्री चिरंजीलालजी के साथ हुआ था। ..
नगर में मुनिश्री १०८ शान्तिसागरजी के आगमन से आपमें वैराग्य वृत्ति जाग उठी। आपने विक्रम संवत्
२०११ में आचार्य श्री १०८ वीरसागरजी से खानियां में
at आर्यिका दीक्षा ले ली। आपने खानियाँ, अजमेर, सुजानगढ़, सीकर, दिल्ली, कोटा, उदयपुर, लाडनू इत्यादि स्थानों पर चातुर्मास कर धर्मवृद्धि की । आपने तेल, दही, मीठा आदि त्याग कर रखा है।
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