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दिगम्बर जैन साधु
[ १५१ बढ़ाना उस समय के लिए एक आश्चर्य और संघर्ष का विषय था किन्तु भगवान महावीर की परम्परा सदैव जयशील रही है उसीके अनुरूप पू० ज्ञानमती माताजी अपनी प्रतिभाओं के द्वारा जैन शासन की ध्वजा उन्नत रूप से लहरा रही हैं। इन्होंने आज से १४ वर्ष पूर्व विद्वानों की बढ़ती हुई मांग को देखकर अष्टसहस्री जैसे क्लिष्ट ग्रन्थ का हिन्दी में अनुवाद किया जो विश्व विद्यालयों के अध्ययन में सुगम और सुवोध रूप से अपना स्थान रखती है । उसके अनन्तर समाज की चहुंमुखी रुचियों को दृष्टि में रखकर इन्द्रध्वज विधान महाकाव्य, मूलाचार, नियमसार, बालविकास आदि शताधिक ग्रन्थों की रचना की है जिनके द्वारा जनसामान्य लाभान्वित हो रहा है । इनमें से लगभग ६०-७० ग्रन्थ त्रिलोक शोध संस्थान के माध्यम से प्रकाशित हो चुके हैं । नारी जाति के लिए यह प्रथम रिकार्ड है कि इतनी बहुमात्रा में किसी प्रायिका द्वारा इतना महान् साहित्य सृजन हुआ हो । “सम्यग्ज्ञान मासिक पत्रिका" जो कि आपके द्वारा ही चतुरानुयोगों में निबद्ध हैं घर बैठे ही लोगों को साक्षात् तीर्थंकर की वाणी सुना रही है यह अपने आप में एक अनूठी पत्रिका है।
हस्तिनापुर की पवित्र धरा पर जम्बूद्वीप स्थल पर आपकी गुरुभक्ति का प्रतीक आ० वीरसागर संस्कृत विद्यापीठ भी सन् १९७६ में स्थापित हुआ। होनहार विद्यार्थी प्राचीन प्राचार्य परम्परा का ज्ञान प्राप्त कर समाज के समक्ष कुशल वक्ता और विधानाचार्य के रूप में आ रहे हैं यह प्रसन्नता का विषय है।
सन् १९८२ का ४ जून का दिवस इतिहास पृष्ठों में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा जिस दिन पू० माताजी के शुभाशीर्वाद से भारत की प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कर कमलों से "जम्बूद्वीप ज्ञानज्योति" रथ का राजधानी दिल्ली से प्रवर्तन प्रारम्भ हुआ। यह ज्ञानज्योति आज देश के विभिन्न प्रान्तों में भ्रमण करती हुई भगवान महावीर के अहिंसा अपरिग्रह सिद्धान्तों को जन-जन को सुना रही है और जन-जन में ज्ञान की ज्योति जला रही है।
सम्यग्दर्शन, ज्ञान और चारित्र की धनी पू० प्रायिका श्री ज्ञानमती माताजी वास्तव में इस यग के लिए एक धरोहर के रूप में हैं जिनसे सर्वदा ज्ञान की गंगा प्रवाहित हो रही है। हम सबका भी यह कर्तव्य है कि उस ज्ञान गंगा में स्नान कर अपने को पवित्र बनावें तथा शरपूर्णिमा के पवित्र दिवस पर हम सभी जन्म जयती.उत्सव मनावें और अनंत ज्ञानामृत पान का संकल्प करें।
पू० माताजी आरोग्य लाभ करते हुए चिरकाल तक संसार के मिथ्यात्व अंधकार दूर कर सम्यग्ज्ञान प्रकाश से जनमानस को आलोकित करते रहें, इन्हीं मंगल भावनाओं के साथ । पूज्य माताजी के चरणों में शत-शत वन्दन ।