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________________ उपसंहार क्या जाने कब इस पर मृत्यु का आक्रमण हो जाय, अतएव उससे पहले ही मुक्ति की प्राप्ति का प्रयत्न विवेकी पुरुष को कर लेना चाहिए। विषय-भोग तो पशु आदि निकृष्ट योनि में भी प्राप्त हो जाते हैं। अतएव उनकी प्राप्ति के लिये इस मूल्यवान् अवसर का दुरुपयोग करना ठीक नहीं। यह नरदेह एक नौका है जो सब फलों को देती है। यह अभागों के लिये बहुत ही दुर्लभ और भाग्यवानों के लिये सुलभ है; परम पटु गुरु ही इस नौका के कर्णधार हैं और अनुकूल वायुरूप मैं ही इसका सञ्चालक हूँ। जो व्यक्ति ऐसी नाव के द्वारा भवसागर के पार जाने का प्रयत्न नहीं करता वह निरा आत्मघाती है। दुर्लभ मनुष्य-शरीर पाकर जीवात्मा का परम कर्तव्य है कि उसका परम कारण परमात्मा जो सच्चिदानन्द घन हैं उनकी प्राप्ति अवश्य करे जिसके करने ही से उसके ताप-त्रय की निवृत्ति होगी और परमानन्द की प्राप्ति होगी, अन्यथा कदापि नहीं। इस प्राप्ति में कर्म का सुधार मुख्य है जिसको अवश्य करना चाहिये । ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
SR No.010187
Book TitleDharm Karm Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIndian Press Prayag
PublisherIndian Press
Publication Year1929
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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