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धर्म-कर्म रहस्य कादि महर्षि आदि आजन्म ब्रह्मचारियों के चरित्र पर मनन कर उनको भा ब्रह्मचर्य की रक्षा के लिये अपना आदर्श बनाना चाहिए।
स्त्री-सहवास के उपयुक्त काल पर ऐसा प्रमाण है-- पञ्चविंशे ततो वर्षे पुमान् नारी तु षोडशे । समत्वागतवी? तो जानीयात्कुशलो भिषक ॥ सुश्रुतसंहिता का वचन हैउनषोडशवर्षायाममाप्य पञ्चविंशतिम् । यद्याधत्ते पुमान् गर्न कुक्षिस्थः स विपद्यते । जातो वा न चिरञ्जीवेज्जीवेद्वा दुर्वलेन्द्रियः ।
तस्मादत्यन्तवालायां गोधानं न कारयेत् ॥ . पचीस वर्ष में पुरुष का वीर्य और सोलह वर्ष में स्त्री का - रज दोनों समान हो जाते हैं.। इस बात को चतुर वैद्य जानते हैं। (इस कारण ) यदि १६ वर्ष से कम आयुवाली स्त्री में २५ वर्ष से न्यून सम्रवाला पुरुष गर्भाधान करेगा तो वह गर्भ पेट में ही नष्ट हो जायगा। यदि उस गर्भ से सन्तति उत्पन्न हुई, तो वह जीती नहीं रहेगी। यदि जीती रही तो सब प्रकार से अत्यन्त दुर्वल रहेगी । इसलिये पुरुष अथवा स्त्री को कम उम्र में कदापि गर्भाधान न करना चाहिए। ___ बालकों में ब्रह्मचर्य के पालन का मुख्य उपाय यह है कि उनको उपयुक्त शिक्षा, उपदेश और सत्संगति द्वारा वीर्य