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________________ चालकों का ब्रह्मचर्य मैथुन प्रचलित हैं वे सब धर्म, अर्थ, बल, साहस, मेधा, पौरुप, विद्या आदि सद्गुणों को नष्ट कर सर्वनाश कर रहे हैं उनका रोकना परमावश्यक है। चालकों को विद्यारम्भ के समय सबसे प्रथम ब्रह्मचर्य के नियमों को बतलाकर उनका पालन उनसे करवाना चाहिए। प्रथम पाठ्यावस्था में उपयुक्त शिक्षक द्वारा मुख्य कर धार्मिक शिक्षा अथवा अधिकांश में धार्मिक और किञ्चित् प्राधिक शिक्षा दी जाय और उनसे सन्ध्योपासना और होम आदि कृत्य नियम से कराये जायें और उपयुक्त भोजन, सत्सङ्ग आदि का प्रवन्ध अवश्य हो। ऐसा करने से ही ब्रह्मचर्य की रक्षा होगी। चालकों को ब्रह्मचर्य के अमित लाभ और उसके नष्ट करने से और अस्वाभाविक मैथुन और अकाल और अविहित मैथुन से जो शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा की बहुत बड़ी हानि होती है और उसके कारण सांसारिक कार्य के साधन के लिये भी कर्ता निकम्मा और बेकार हो जाता है और स्वास्थ्य, आयु, बल, वीर्य, मेधा, पौरुष आदि अमूल्य रत्नों का सर्वनाश होता है, इनकी शिक्षा भी दी जानी चाहिए। ब्रह्मचर्य का अर्थ सब इन्द्रियों का, विशेष कर जननेन्द्रिय का, निग्रह कर वीर्य की रक्षा करना है। आजकल वीर्य-रक्षा के महत्त्व को लोग एकदम भूल गये हैं। लिखा है तदेव शुक्रं तद्ब्रह्म ता आपः स प्रजापतिः । यजुर्वेद
SR No.010187
Book TitleDharm Karm Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIndian Press Prayag
PublisherIndian Press
Publication Year1929
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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