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कुदरत का कानून है, कृपा करे ना विकृत मन होवे दुखी, होय
किसको पूजूं हवि करू ? कौन मैं तो पूजूं सत्य को, सत्य
क्या ईश्वर पूजन करें ? क्या ईश्वर पूजन करें ?
क्रोध ।
सुखी चितशोध ॥
बना
ऋत छूटा अनृत रहा, रचिया ऋत-रचिया के फेर में, ऋत भूला
धर्म
धर्म
शील पालना कठिन है, ईश शील छोड़ ईश्वर भजें, कितने
देवता
ईश ?
धर्म जगदीश ॥
रहे
ना
रहे यदि
भजन
धर्म पालने में जहाँ, जो जो चाहे जितने प्रिय लगें, त्यागें
जन
प्रधान ।
नादान ॥
पास ।
पास ॥
आसान ।
नादान ||
बाधक होंय ।
निर्मम
होय ॥