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देव स्वरूप
॥ मंगलाचरणम् ॥... वेदो बानी भगवती, विमल जोत. जग महि । प्रम ताप जासौं मिटे, मवि सरोज पिकसाहिः॥ गौतम गुरु के पद कमल, हृदय सरोवर आन । नमो नमों नित भावसों, करि अष्ट्रांग विधान ।।.
मिय सज्जनोच.बहिनो! आज इस बात के जानने की अति. आवश्यकता है कि हमारे देव गुरु कौन हैं और उनका धर्मोपदेश क्या है। इस हेतु जो बचन जैसे महान पर्वत में राई समान जिन आगमा कविद्वानों द्वारा मैंने श्रवण किया है उसका अति संक्षेप कुछ यहाँ प्रगट करता आया है कि मेरी त्रुटियों पर मारपी