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शकीए के पाटण अने गुजरातनां जुदां जुदां स्थळोमां विशाळ ज्ञानभडारोनी स्थापनानो आ समर्थ युग हतो अने गुजरातने ज्ञान अने संस्कार समद्ध करवामां जैनाचार्यों अने जैन धनिकोनो महान फाळो हतो. आजे जेसलमेर आदिमां जे ज्ञानभंडारो छे तमां हस्तलिखित ग्रंथोनो मोटो भाग एवो छ जे पाटण, खंभात आदि गुजरातना स्थानोमां ज लखायेलो छे. आजे जेसलमेरमांजे महान ताडपत्रिय संग्रह छे तेमांनो एक चतुर्थांश जेटलो भाग खंभातना धनिक पारी धरणाके अने साधु उदयराज-अलिराजे पोताना धनथी लखावेलो छे. आ उपरांत बीजी पण घणी प्रतो छ जे पाटण, खंभात, आदिमां लखायेली छे. आ रीते पाटण अने गुजरातनो ज्ञानभंडारोना सार्वत्रिक लेखनमा अने वृद्धिमा घणो मोटो फाळो छे. . .:.
पाटणना श्री हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरमा (१) श्री संघनो (२) तपागच्छनो (३) वाडी पार्श्वनाथनो (४) सागरगच्छनो (५) मौका मादीनो (६) वस्ता माणेकनो अथवा लहेरू वकीलनो (७) लींबडी पाडानो (८) महालक्ष्मी पाडानो (९) अदुवसी पाडानो (१०) हिंमत विजयजी यतिनो अने (११) पूनमीआगच्छनो मळी पाटणना अगीयार ज्ञानभंडारो एकत्र करवामां आव्या छे.आ उपरांत (१) अमदावादनो शुभवीरनो (२) मारा पूज्य दादा गुरू प्रवर्तक श्री कांतिविजयजीनो (३) पंजाबना श्री विजयानंद सूरिश्वरजीनो अने (४) जेसलमेरीय यतिजी श्री वृद्धिचंद्रसूरि महाराजनो एम चार भंडारो पण आ ज्ञानमंदिरमा मूकवामां आव्या छे. आ सिवाय कच्छ-भूजना कुशळशाखाना यतिओनो, व्रज-राजस्थानी गुजराती भाषानी कविताओनो अने पिंगळ ग्रंथोनो संग्रह पंडित अमृतलाल द्वारा खरीदवामां आव्यो छे, जे अति महत्त्वनो छे. कुशळशाखाना आ यतिओने कच्छना महारावनो आश्रय हतो अने तेमने कच्छना महारावे गामगरास वगेरे आप्यां हतां विक्रमना सत्तर-अढार-ओगणिसमा सैकामां आ यतिओ पासे राजस्थान अने गुजरातमांथी कवित्वनो अभ्यास करवा-माटे अनेक व्यक्तिओ आवती हती. एक रीते कहीए तो ते युगमां कवित्वनो अभ्यास करवा माटेनी आ एक विशिष्ट पाठशाळा-स्कूल ज हती. भाई श्री अमृतलाल पंडितने जोधपुरमा एक बुझर्ग कवि मळ्या हता. तेमणे कडं हतुं के- "मैने कवित्व का अभ्यास कच्छ-भूज की पोशाल मे रहकर किया है." डो. भोगीलाल सांडेसराने एवु सांभळ्यानुं याद छे के केटलाक घरडाओ वहालमां बोलता के, "मारो भाई तो भूजनी पोशाळमा जईने भणशे." गुजरातमां प्रसिद्ध कविवर श्री दलपतराम पण थोडो वखत कच्छनी पोशाळमा रह्या हता एम सांभळवा मळ्यु छे. आ उपरथी भूजनी पोशाळमांथी मेळवेलो कविता अने पिंगळ ग्रंथोनो आ संग्रह केवो महत्त्वनो छे तेनी आपणने खात्री थाय छे. ते साथे ए पण एक महत्त्वनी वात छे के गुजरातमां वसता गुजरातीओ व्रज अने राजस्थानी भाषामां आवी समर्थ रचनाओ करी जाणता हता.
आ बधा भंडारोनी मळीने कुल वीस हजार जेटली हाथपोथीओ श्री हेमचंद्राचार्य जैन ज्ञानमंदिरमा विद्यमान छे, जे विद्वानोना अध्ययन अने निरीक्षणनी द्रष्टिए सगवडभर्यु बन्युं छे.
आ भंडारो उपरांत पाटणमां (१) भाभाना पाडानो (२) खेतरवसीनो अने (३) संघवीना पाडानो एमत्रण भंडारो पोताना स्थानमांज छे. भाभाना पाडाना भंडार सिवायना बे भंडारो प्राचीन ताडपत्रीय प्रतोना संग्रहरूप होई अलभ्य-दुर्लभ्य साहित्य अने संशोधननी दृष्टिए घणा ज महत्त्वना भंडारो छे.खेतरवसीमां ताडपत्रीय ग्रंथसंग्रह उपरांत त्यां आवनार-जनार साधुओना जे संग्रहो छे तेमां पण सारो एवो कागळ उपर लखायेल प्राचीन-अर्वाचीन हस्तप्रतोनो संग्रह छे. उपर जणाव्या ते बधा भंडारोनी मळीने आजे पाटणमां लगभग पचीसथी त्रीस हजार जेटली हस्तप्रतोनो सग्रह छे. आ साथे ए पण ध्यानमा राखवा जेवूछे के आजे पाटणमां देवनागरी लिपिमा लखायेल प्राचीन ताडपत्रीय प्रतोनो जे विशाळ ग्रंथसंग्रह छे एवडो विशाळ ग्रंथसंग्रह भारत के दुनियाना कोईपण देशमां नथी. ए दृष्टिए पाटणना ज्ञानभंडारो घणा ज महर्द्धिक अने मूल्यवंता छे.. ..
संघना ज्ञानभंडारमा विक्रम संवत १४१०मां कापड उपर लखायेली धर्मविधि प्रकरण-कच्छूलीरास आदिनी पत्राकार एक लाबी पोथी छे, ए पण पाटणना भंडारोनी एक विशेषता छे. विद्वानोनी आज पर्यंतनी शोधमां कापड उपर पत्राकार पोथी रूपे लखायेली कोई हस्तप्रति प्राप्त थई नथी.
पाटणना ज्ञानभंडारोनी महत्ता मुख्यत्वे तेमा रहेला अलभ्य-दुर्लभ्य प्राचीन साहित्यने लीधे ज छे. ते छतां ते प्रतोनी अनेकविध लिपिओनां पलटातां रूपो, ताडपत्रो अने कागळनी विविध जातिओ, त्रिपाठ, पंचपाठ, स्तबक आदि अनेक १ आ ज्ञानभंडार पूज्यपाद मुनिभगवंत श्री जंबूविजयजी महाराजजीनी प्रेरणाथी, ईस १९८२नीआसपास, तेना वहिवटकर्ताए श्री हेमचंद्राचार्य जैन
शानमदिरमा समर्पित कयों छे-पं. अमृतलाल भोजक
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