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________________ क्रमाक १११२२ (१) आठ कर्मनी प्रकृति ११४८६ आठ कर्मनी प्रकृतिओ ११४८१ ५०२४ ५२०७ ११४९३ ११२०५ ८३९४ पाटणमा श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमदिरस्थित कागळ उपरना हस्तलिखित (Paper Mss ) २००३५ ग्रथोनो अकारादिक्रम पुस्तकनु नाम पत्र भाषा कर्ता पुस्तकनु नाम पत्र भाषा विचार ५०२५ आठ कर्मनी प्रकृतिनो विवरो ५०२६ आठ कर्मनी प्रकृतिनो विवरो ५६६१ (४) आठ कर्मनी प्रकृतिनो विवरो अपूर्ण ३ गु ४ गु आठ कर्मनी प्रकृतिओनो विचार ६ गु ७ गु ६ गु १९५६४ १९८८५ २००११ आठ कर्मनी प्रकृतिनो विचार आठकर्मनी प्रकृतिनो विचार आठकर्मनी प्रकृतिनो A-3 ५२७६ १३५३६ ५८१७ आठढाळीयु चैत्यवन्दन ९४७६ आठ दृष्टिनी सज्झाय आठ दृष्टिनी सझाय ११८१९ १२०८६ (१) आठ दृष्टिनी सज्झाय ६२६० आठ दृष्टिनी सज्झाय बालावबोधसहित आठ कर्मनी प्रकृतिनो विवरो अपूर्ण आठ कर्मप्रकृतिनी स्थितिनु यन्त्र आठ कर्मप्रकृतिनो विचार आठकर्मप्रकृतिविचार ६२३३ (२१) आठ मदनी सज्झाय आठमदनी सज्ज्ञाय आठ मदनी सज्झाय आठमदनी सज्झाय २-५ गु ९ गु ६ गु १०-१३ गु ८ गु ४ गु ९ गु ५ गु ४ गु १३ गु ७ गु १-५ गु ४१५ गु २ गु नयसागर २७ गु मू बा Bo क्रमाक ज्ञानविमलसूरि लाघा शाहजी मानविजय ६३३१ ५९९६ (७) आठमदिनस्तुति ९५३६ ५७४२ यशोविजयोपाध्याय यशोविजयोपाध्याय यशोविजयोपाध्याय यशोविजयोपाध्याय, १७४०४ आठ मदनी सज्झाय, चैत्यवन्दन, स्तवन सज्झाय आदि ५७५० (१) आठमनु स्तवन ६१४९ (१) आठमनु स्तवन १९८२९ आठमनु स्तवन १९८६७ आठमनु स्तवन १९८१५ आठमीनी थोय १८३०० आणदश्रावक सधि ५६५६ आणन्दश्रावकसन्धि आणन्दसन्धि ३२०४ आठमनु चार ढालनु स्तवन आठमनु स्तवन १३७४० (४) आणन्दसन्धि ३७९८ (१) आतुरप्रत्याख्यान ६५६९ (४) आतुरप्रत्याख्यान १०५५६ (२) आतुरप्रत्याख्यान किचिदपूर्ण आतुरप्रत्याख्यान गुर्जरपर्यायसहित पञ्चपाठ आतुरप्रत्याख्यान प्रकी० साव० पच० ४१६८ ६२५ (१) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक ६२६ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक आतुरपत्याख्यानप्रकीर्णक ६३७ ६२८ आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक ६३९ (१) आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णक ६ गु ५ गु २ गु ७- १४ गु ५ प्रा ३८ प्रा ७-१० प्रा ४ गु ११ गु २ ४०५ २ ४०६ १ ४०५ १४ गू श्रीसार १० गु श्रसारमुनि ३ अप रत्नसिंहशिष्य विनयचन्द्र श्रीसार १ वीरभद्रगणि वीरभद्र कर्ता • ८-१५ पास ५ प्रा [ ३३ ] मानविजय आदि जिनविजय बुद्धिलावण्य लावण्यरत्न १ लावण्यरत्न कान्तिविजय वीरभद्रगणि ९ प्रागु मू वीरभद्रगणि मूवीरभद्रगणि, टी महेन्द्रसूरि शिष्य मू वीरभद्रगणि मू वीरभद्रगणि मू वीरभद्रगणि प्रा ४ प्रा मू वीरभद्रगणि ५ प्रा मू वीरभद्रगणि
SR No.010180
Book TitleCatalogue of Manuscripts of Patana Jain Bhandara 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1991
Total Pages561
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size28 MB
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