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जीवन गंभीर है
महावीर का जीवन-धर्म
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यों चाहे मैं गंभीर वृत्ति का मनुष्य न भी होऊँ; लेकिन ऐसे संगो के लिए मेरी वृत्ति अत्यंत गंभीर हैं । जीवन को मैं अत्यत भीर वस्तु समझता हूँ और महावीर जैसे जीवन के साथी पुरुष जयती को मैं गभीर प्रसगो में मानता हूँ। मै नही जानता कि आप मेरी तुलना कितने अंशों में समझ सकेंगे। लेकिन गांभीर्य क्या
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यह आपको उदाहरण द्वारा समझाने का प्रयत्न करूँगा । मान कीजिए कि आप बोरसद के सत्याग्रह के समय विचार कर रहे हैं प्रथवा बाबरा (डाकू) के बारे में विचार कर रहे हैं अथवा आपके किसी का बड़ा ऑपरेशन करवाना हो और उसका आप बेचार कर रहे हैं । उस समय आपके मन की वृत्ति कितनी गंभीर होती है इसका खयाल कीजिए। जैसे ये बातें जीवन के साथ जुड़ी हुई हैं वैसे ही ये महापुरुष भी अपने जीवन के साथ जुड़े हुए मालूम होना चाहिए। जैसे उपर्युक्त प्रसंगो में आपको अपने जान-माल की चिंता होगो वैसे ही इनके सम्बंध मे आपको अपने जीव की लगनी चाहिए। अतर केवल इतना ही है कि पहले प्रसंगों में कदाचित् घबराहट और खेद होगा और इसमें उनकी जगह उत्साह और साहस । मैं इस वृत्ति को गंभीर वृत्ति कहता हूँ ।
३. निजी उन्नति जयन्ती का उद्देश्य :
यदि आप इस गंभीर वृत्ति से महावीर जयंती मनावें तो उससे आपको लाभ होगा। आपको अनुभव होगा कि प्रत्येक जयती पर आप जीवन विकास के मार्ग में एक एक पैर आगे बढ़ाते