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“सिद्धान्त लेख संग्रह" वेदान्त दर्शन का एक बड़ा उपयोगी ग्रन्थ है। इसमें चार परिच्छेद है यह गद्य में है अद्वैत वेदान्तियों में जो मतभेद है उसका वर्णन है वेदान्त के सम्प्रदाय को समझने में सहायता मिलती है क्योंकि इसके यथावत् अध्ययन करने पर अद्वैत वेदान्त शास्त्र का ऐसा कोई भी मत अज्ञात नहीं रह जाता है जो इसमें न आया हो।
यद्यपि अप्पय दीक्षित के सभी ग्रन्थों के नाम ज्ञात नहीं हो सके है गुरुपरम्परा एवं अन्याय ग्रन्थों से जितने नाम हमें उपलब्ध हो सके है उनका निम्नलिखित प्रकार से उल्लेख किया है यथा
कुवलयानन्द, चित्रमीमांसा, वृत्तिवार्तिक, नामसंग्रहमाला, नक्षत्रवादावली, प्राकृतचन्द्रिका, चित्रपुट, विधिरसायन, सुखोपयोजिनी, उपक्रम पराक्रम, परिमल, न्यायरक्षामणि, सिद्धान्त लेख संग्रह, न्याय मुक्तावली, न्यायमञ्जरी, मणिदीपिका, मणिमलिका, रत्नत्रय परीक्षा, शिखरिणी माला, शिवतत्त्व विवेक, ब्रह्मतर्कस्तव, शिवकर्णामृत, रामायण तात्पर्य संग्रह, भारत तात्पर्य संग्रह, शिवाद्वैत निर्णय, शिवार्चन चन्द्रिका, बालचन्द्रिका, शिवध्यान पद्धति, आदित्यस्तव रत्न, मध्यतन्त्र, मुखदर्शन और मध्यमत विध्वंसन आदि।
अप्पय दीक्षित यद्यपि 'परिमल' के कारण भामती प्रस्थान के दार्शनिक है किन्तु नव्य वेदान्त की स्थापना में भी अधिक योगदान किया। श्री बलदेव उपाध्याय. ने “संस्कृत वाङ्गमय का बृहद इतिहास" में अप्पय दीक्षित के योगदान का वर्णन किया
'पं० बलदेव उपाध्याय- संस्कृत वाङ्गमय का वृहद इतिहास (दशमखण्ड) वेदान्त-पृ० १३६
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