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प्रकाशात्मयति की पंचपादिका 'विवरण नामक टीका है जिसके आधार पर 'विवरण प्रस्थान कहलाता है। ये दोनों प्रस्थान अद्वैतवाद के प्रामाणिक प्रस्थान है। इस प्रस्थान के प्रमुख दार्शनिक, प्रकाशात्मयति, तत्वदीपनकार अखण्डानन्द, चित्सुखाचार्य, सर्वज्ञ विष्णुभट्ट (ऋजुविवरणकार) नृसिंहाश्रम, आनंदपूर्ण विद्यासागर, यज्ञेश्वर दीक्षित, विवरण प्रमेय संग्रहकार विद्यारण्य स्वामी आदि । सुरेश्वराचार्य ने शङ्कराचार्य के बृहदारण्यक भाष्य और तैत्तिरीय भाष्य पर वार्तिक लिखे है जिसके कारण उन्हे 'वार्तिककार कहा जाता है। इनका प्रसिद्ध ग्रन्थ 'नैष्कर्म्य सिद्धि है । वार्तिक प्रस्थान के संस्थापक सुरेश्वराचार्य के आधार ग्रन्थ वृहदारण्यकोपनिषद् भाष्य वार्तिक पर आनन्दगिरि ने टीका लिखी तथा विद्यारण्य स्वामी का वृहदारण्यवार्तिक सार संक्षेप रूप में है। सुरेश्वराचार्य के अन्य ग्रन्थों में पंचीकरण वार्तिक, मानसोल्लास - जो शंकराचार्य कृत दक्षिणा मूर्ति स्तोत्र पर वार्तिक है। सुरेश्वराचार्य के नाम से स्वराजसिद्धि और काशीमृतिमोक्ष विचार नामक ग्रन्थ भी हस्त लिखित ग्रन्थों की सूची में दिये गये है । किन्तु जो स्वराज्यसिद्धि प्रकाशित है उसके प्रणेता गंगाधरेन्द्र सरस्वती ( १६वीं शती) है। सुरेश्वराचार्य नहीं । तैत्तिरीयोपनिद् भाष्य वार्तिक पर भी आनन्द गिरि की टीका है ।
मण्डन मिश्र की जन्म स्थान के विषय में भी दो मत हैं- कुछ विद्वान मानते है कि बिहार के सहरसा जिल के 'महिषी' ग्राम में हुआ था । ये मीमांसक और कर्मकाण्ड में आस्था रखते थे। दूसरे मत के अनुसार इनकी जन्मस्थली माहिष्मती नगरी मानी जाती है। जो इन्दौर के पास मान्धाता नाम से भी प्रसिद्ध है। ये प्रसिद्ध मीमांसक कुमारिल के शिष्य थे। इनकी पत्नी का नाम उम्बा था जो विदुषी थी । माधवाचार्य ने अपने ग्रन्थ 'शंकर दिग्विजय' इनके पिता का नाम हिममित्र लिखा है। सुरेश्वराचार्य का समय ८०० ई० है ।
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