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(४०) लवङ्गादिवटी, अगस्त्यहरीतकी, विभीतकावलेह, करवीर योग, एटादि वटी, भागोत्तर गुटिका, नागवल्लभ रस । चौदहवाँ अध्याय
३७४-३९८ हिका-श्वास-प्रतिषेध, हिकावलेह, शंसचूल रन, हरिद्रादिलेह, सामरेश्वरात्र, महाश्वासारि लौह, श्वास कुठार रम, नागार्जुनान रम, कनकासय, सोम कल्प। पन्द्रहवाँ अध्याय
स्वरभेद-प्रतिषेध, निदिग्धिकावलेह, किन्नरकंठ रस । सोलहवाँ अध्याय
३६३-३६६ ___ भरोचक प्रतिषेध, सुधानिधि रस । सत्रहवाँ अध्याय
३६६-४०३ छर्दि-प्रतिषेध, एलादि चूर्ण, रसादि या पारदादिचूर्ण, वामनामृत योग, छर्दिरिपु, लाजमण्ड । अठारहवाँ अध्याय
४०४-४०६ तृष्णारोग प्रतिपेध, अपथ्य, वातिक, पैत्तिक, श्लैष्मिक, क्षतोधित, क्षयोस्थित भक्तोद्भव । उन्नीसवाँ अध्याय
४०६-४१४ ___मूर्छा-भ्रम-अनिद्रा-तंद्रा-संन्यास प्रतिषेध, कौम्भ सर्पि, प्रवालपिष्टि योग, मूर्छान्तक रस । बीसवाँ अध्याय
४१४-४१८ __ मदात्यय प्रतिपेध, तीव्र मदात्यय, जीर्ण मदात्यय, ध्वंसक, विक्षेप, वातज, मदात्यय, पित्तज मदात्यय, त्रिदोषज, अष्टाङ्ग लवण, एलादि मोदक । इक्कीसवाँ अध्याय
४१६-४२३ ___दाह प्रतिषेध, मधज, पित्तज, तृष्णानिरोधज, रक्तपूर्ण, कोष्ठज, क्षतज, धातुक्षयज, मर्माभिघातज, प्रदेह या लेप, वाथ पर्पटादि, कपाय धान्यक हिम, कुङ्कुमादि वटी। बाइसवाँ अध्याय
४२३-४४४ भूत विद्या, असुर, गन्धर्व, यक्ष, राक्षस, पितृग्रह, नाग, ग्रह, पिशाच, बालग्रह सख्या, भूतोन्माद की विशेषता, देवजुष्टोन्माद, देवशत्रुजुष्ट, गन्धर्व ग्रह पीडित उन्मत्त, यक्षाविष्ट, पितृजुष्ट, सर्पग्रहजुष्ट, राक्षस-ग्रह जुष्ट, पिशाच ग्रहजुष्ट उन्माद, कृष्णाद्यंजन, मरिचाद्यंजन, महाधूप, महापैशाच-घृत, भूतभैरव रस, ब्राह्म सत्त्व, आर्षसत्व, ऐन्द्रसत्त्व, याम्यसत्व, वारुणसत्व, कौबेरसत्व, गान्धर्वसत्व,