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( ३८ ) द्वितीय अध्याय
१७५-१८६ चिकित्सा के भेद, सत्वावजय, चिकित्सा के चतुष्पाद, साध्यासाध्य विवेक, साध्यासाय के चार भेद, सुखसाध्य, कृच्छसाध्य, याप्यरोग, चिकित्सा की महिमा । तृतीय अध्याय
१८६-६२ वायु के गुण, पित्त के गुण, कफ के गुण ।
चतुर्थ खण्ड : विशिष्ट प्रतिपेध ज्वर प्रतिषेध प्रथम अध्याय
१६५-२१८ ज्वर के पूर्वरूप में उपक्रम, लंधन, लंघन के गुण, वमन, स्वेदन, पडङ्गपानीय, ज्वर मे आहार, संतर्पण या फलरस, मांस रस, काल, पाय का निषेध, मृत्युञ्जय रस, हिंगुलेश्वर रस, गोदन्ती भस्म, रसादिवटी, त्रिभुवनकीर्ति रस, संजीवनी योग, अश्वकचुकी रस । द्वितीय अध्याय
२१८-२३१ __तन्द्रिक सन्निपात, प्रलापम सन्निपात, रक्तष्टीची सन्निपात, भुननेत्रचिकित्सा, जिह्वक सन्निपात, सधिक सन्निपात, अभिन्याम ज्वर, कंठकुब्ज सन्निपात, कर्णिक सन्निपात, चित्तभ्रम या चित्तविभ्रम सन्निपात, प्रचेतना गुटिका, रुग्दाह सन्निपात, अन्तक सन्निपात । तृतीय अध्याय
२३१-२४१ लघन का निषेध, अभिघातज ज्वर, अभिचार या अभिशापज-ज्वर, क्रोधजज्वर, काम-शोक-भय ज्वर, भूतज ज्वर, मानस ज्वर । चतुर्थ अध्याय
२४१-२४३ ___ सौभाग्यवटी, कस्तूरी भैरव रस, वृहत् कस्तूरी भैरव रस । पंचम अध्याय
२४३-२४६ जर्ण अवर प्रतिपेध जीर्ण ज्वर में व्यवस्था पत्र । पष्ठ अध्याय
२४.६-२५१ ____ ज्वरातिमार प्रतिपेव, क्रियाक्रम, रसयोग चिकित्सा । सप्तम अध्याय
२५१-२७७ अतिसार प्रतिषेध, सामातिसार, अय-शोकातिसार, अगस्ति सूतराज, ग्रहणीरोग प्रतिपेध, नामावस्था में उपक्रम, पक्कावस्था में क्रियाक्रम, सान्नचिकित्सा, वृद्ध गगाधर चूर्ण, नायिका चूर्ण, ग्रहणी कपाट रस, पर्पटी के योग,