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________________ १०८ भिपकर्म-सिद्धि प्रकार: स्वेदन-क्रिया के द्वारा जहाँ पर किमी देग स्थान विगेप का म्वेदन अपेक्षित हो जैसे गोययुक्त सन्धि या व्रण-गोफ युक्त स्थान वहाँ पर स्वेदन का उन म्यान का रक्त-मचार वढाना मात्र लक्ष्य होता है, जिससे उम म्यान के दोष नार्वदैहिक रक्त सवहन मे आ जाय और उनका निहरण हो जाय और उन स्थान का गोथ गान्त हो जाय । इन प्रकार एकदैगिक माफ को ( Fomentation) कहा जाता है । यह एक प्रकार का मामूली नेक है। स्वेदन क्रिया के द्वारा जहाँ पर सम्पूर्ण शरीर का वंदन अभिप्रेत है यहां पर सम्पूर्ण शरीर का त्वचागत रक्त मवह्न (Cutaneus Circulation) का वढाना रक्त वाहिनियो के मवृत मुसो को विवृत करना तथ त्वचा में जलाश का स्वेद के रूप में दूरी-करण लक्ष्य रहता है। इस प्रकार के मानिक स्वेदन की प्रक्रिया को ( Induction of sweating ) कहते है। यह एक प्रकार की विशेष प्रक्रिया है जो सम्प्राप्ति नए विमान के लिए एक आयुर्वेद को नई देन हो सकती है। ____ इस प्रकार स्वेदन एकाङ्ग एव माङ्ग भेद से दो प्रकार का होता है। सम्पूर्ण गरीर का स्वेदन सर्वाङ्ग स्वेदन तथा किनी एक अवयव का स्वेदन एकाङ्ग स्वेदन कहलाता है। उदाहरणार्थ एकाङ्ग स्वेदनो में मागय में वायु के होने पर उस स्थान का रूक्ष स्वेदन, पक्वागय में कफ होने पर भी प्रारम्भ मे स्निग्ध स्वेदन हितकर होता है। कई अङ्ग ऐसे हैं जिनका स्वेदन नहीं करना चाहिए, वंक्षण, नेत्र, हृदय और अण्डकोग । यदि अङ्गो का म्वेदन आवश्यक हो तो इन सुकुमार अङ्गो पर मृदु स्वेदन ही करना चाहिए । अन्य अङ्गो का यथेच्छ स्वेदन किया जा सकता है। स्वेदन का कर्म मूलतः दो प्रकार का है-(१) जिममे अग्नि के सीधे सम्पर्क ( Direct ) से स्वेद हो। (२) जिसमें माक्षान् अग्नि का सम्पर्क न हो, अयत्र व्यक्ति का स्वेदन हो जाय । प्रथम वर्ग को अग्नि स्वेद और दूसरे को अनग्नि स्वेद ( Indirect ) कहते है । अनग्नि स्वेद के उदाहरणो मे व्यायाम ( कसरत ), उष्णगृह, मोटा और भारी आवरण ( नोटना), क्षुधा, बहुत मात्रा मे मद्यपान, भय, क्रोध, उपनाह ( पुल्टीस), उष्ण वायु प्रभृति दम विधियो में विना माक्षात् अग्नि सम्पर्क के ही स्वेदन हो जाता है। अनग्नि-स्वेद के ही उदाहरणो मे अधुना प्रचलित विद्युत्-स्वेदन का भी ग्रहण
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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