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भगवानका शुभ अवतार ! [ १०९ ढाको बतलानेवाली - स्वर्ग और मोक्षका साक्षात् कारण जिनपूजा बड़े भक्तिभावसे होती थी ! उस समय के बनारसका सलौना दृश्य सबका ही मन हरनेवाला था । सब ही वहां आनन्दमग्न रहते थे । धर्मके प्रियकर धवल आलोकमें वहां किसी बातकी बाधा नहीं थी ! आज भी पुरातन वार्ताको प्रकट करनेवाला एक जैन मंदिर भेलूपुरामें विद्यमान है । इसप्रकार बनारस और उसके राजा विश्वसेनके दिग्दर्शन करके हम कृतार्थ होजाते हैं । अगाडी आइये, पाठकमहोदय, प्रभुके पवित्र आगमन में उनके दर्शन करलें ।
( ९ ) भगवानका शुभ अवतार !
“अन्वितान्त्रित विपातिनूतनानेकरत्नरुचिमेचकं नभः आदधौतनुभृतामभित्तिकं चित्रमेतदिति विस्मितां मतिं ।' आस्खलन्निपतदिंद्रनीलनिर्भासजालवहलांघकारिते । भातु मानुभिरभाविभावितव्योमनि कचिदकांडकुंठितैः।।" - श्री पार्श्वनाथ चरित्र |
बनारस अद्वितीय शोभाको धारण किये हुये था ! ' भावी तीर्थंकरका जन्म होनेवाला है' यह जानकर सुरगणोकी विभूतिसे उसकी शोभा और भी बढ़ गई थी । इन्द्रकी आज्ञासे कुवेर ने भगवानको महाराणी ब्रह्मदत्ता के गर्भमें आनेके छह महीने पहलेसे ही रत्नवृष्टि करना प्रारम्भ कर दी थी । इस अद्भुत वृष्टिकी चित्रविचित्र प्रभासे उस समय सारा आकाश ही रंगविरंगा होगया था । तथापि 'लगातार पडनेवाले नवीन रत्नोसे रंगविरंगा दीख पड़ने