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भगवान् महावीर
च्यान उस समय चेतक ने अठारहों राजाओं को बुला कर उनसे सलाह ली थी।
भगवान महावीर का निवारणात्सव मनाने के लिए जिन अठारहों राजाओ ने दीपावली का उत्सव मनाया था, सम्भवतः वे इसी मंडल के मेम्बर हों। लेकिन इन अठारहों राजाओ के अन्तर्गत चेतक का नाम प्रमुख के ढग रो नहीं आया है। इससे मालूम होता है कि चेतक का दर्जा सम्भवतः उन अठारहो राजाओ के बराबर ही हो। इसके अतिरिक्त सम्भव है कि, उनकी सत्ता भी स्वतंत्र न होगी इन सब कारणों से ही मालूम होता हैं कि बौद्ध लोगो के धर्म प्रचार के निमित्त उसकी विशेप आवश्यकता न पड़ी और इसीलिए उनके प्रथों में भी उसका विशेष उल्लेख नहीं पाया जाता है। जैन ग्रन्थो मे तो स्थान स्थान पर उनका नाम आना स्वाभाविक ही है क्योकि एक तो वे भगवान महावीर के मामा भी थे और दूसरे जैनधर्म के आधार स्तम्भ भी।
राजा चेतक को एक पुत्री और भी थी। उसका नाम "चेलना" था । यह मगध देश के राजा बिम्बसार को व्याही गई थी, मालूम होता है कि राजा बिम्बसार बौद्ध और जैन दोनो ही मतों का पोपक था। क्योंकि इसका नाम दोनो ही धम्मों के ग्रन्थों में समान रूप से पाया जाता है, इसके पुत्र "कुणिक" प्रारम्भ में तो जैन मतावलम्बी था, पर पीछे से बुद्ध निर्वाण के करीब आठ वर्ष पहिले वह बौद्धमतावलम्बी हो गया था। बौद्ध ग्रन्थों में इसे अजातशत्रु के नाम से लिखा है।
त्रिशला रानी को भगवान महावीर के सिवाय एक पुत्र