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भगवान् महावीर
लोगो का ख्याल है कि, जैनधर्म ने तत्कालीन समाज को अहिंसा का सन्देश देकर उसमें कायरता के भाव फैला दिये। जिससे भारत का वीरव एक लम्बे काल के लिए या यों कहिए कि, अब तक के लिये लोप हो गया । इन विद्वानों में प्रधान आसन पंजाब केशरी लाला लाजपतराय जी का है। इस स्थान पर हमें अत्यन्त विनयपूर्ण शब्दो में कहना ही पड़ता है कि, लालाजी ने जैनधर्म का पूर्ण अध्ययन नहीं किया है। यदि वे जैन अहिंसा का पूर्ण अध्ययन करते, तो हमें विश्वास है कि, वे ऐसा कभी न कहते । इस विषय ' का विशद विवेचन हम किसी अगले अध्याय में करेंगे। यहाँ
पर हम इतना ही कह देना पर्याप्त समझते हैं कि, जैनधर्म कायरता का सन्देश देने वाला धर्म नहीं है। जैनधर्म वीरधर्म है और उसके नेता महावीर हैं। लेकिन इतना हम अवश्य स्वीकार करते हैं कि, आजकल के जैनधर्म में ऐसी विकृति हो गई है-उसकास्वरूप ऐसा भ्रष्ट हो गया है ह सचमुच कायर धर्म कहा जा सकता है । आजकल', को प्रचलित जैनधर्म वास्तविक जैनधर्म नहीं है। वास्तविक जैनधर्म भारत की हिन्दू जाति से कभी का लोप हो गया है। यह तो उसका एक विकृत ढांचा मात्र है। .. ।
टिलर