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________________ ७५ भगवान् महावीर समाज उस समय उस क्रान्ति की तैयारी कर रहा था जो बहुत ही थोड़े समय के अन्दर उसमें प्रारम्भ होने वाली थी। ठीक समय पर समाज के अन्दर क्रान्ति का उदय हुआ। यह क्रान्ति और कुछ नहीं समाज में जैन और बौद्ध धर्म का उदय थी। इन दोनों क्रान्तियों के नेता भगवान महावीर और भगवान् वद्ध थे। दोनों नेताओं ने समाज की उस दरावस्था के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई और परिस्थिति का अध्ययन कर एक एक नवीन धर्म की नीव डाली।। दोनों महात्माओ के आजाद सन्देश को सुन कर समाज मे हलचल मच गई। समाज के अत्याचारों से पीड़ित होकर लाखो त्रस्त मानव उनके भण्डे के नीचे एकत्रित होने लग गये । यहां नक कि इन दोनों धर्मों के नवीन प्रकाश में ब्राह्मणधर्म लुप्त प्रायसा नजर आने लग गया। समाज की ये क्रान्तियां केवल भारतवर्ष में ही प्रचारित होकर न रही। बुद्धधर्म तो चीन, जापान, वर्मा और सिलोन तक में प्रचारित हो गया। ___ जैन और बुद्धधर्म के इस शीघ्रगामी प्रचार का तत्कालीन परिणाम यह हुआ कि, समाज की वह दुर्व्यवस्था, समाज की वह हिंसात्मक प्रवृत्ति, और अछूतो के प्रति होनेवाले घृणित अत्याचार समाज में एकदम बन्द हो गये। लाखो मूक पशुओं का हत्याकांड वन्द हो गया "वैदि की हिसा हिंसान भवति" की भयंकर आवाज के स्थान पर "अहिंसा परमो धर्म" के उज्वल और दिव्य सन्देशों का प्रचार हुआ। भयङ्कर-क्रान्ति के पश्चात् दिव्य शान्ति का उदय हुआ। लोकमान्य तिलक का कथन है कि, सनातनधम के चिर
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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