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भगवान महावीर
और दुख से छुटकारा मिल जाता है। ज्ञान मार्ग का अनुसरण करने वालों ने कहा कि-अशान्ति का मूल कारण प्रशान है। ज्ञान के द्वार अज्ञान का नाश कर देने से मनुष्य सथी शान्ति प्राप्त कर सकता है। __ पर इन सब समाधानों से जनता के मन को तृप्ति न होती थी। जिस भयङ्कर उहापोह के अन्दर समाज पड़ रहा था, उसका निराकरण करने में ये शुष्क उत्तर बिल्कुल असमर्थ थे। समाज को उस समय सहानुभूति, प्रेम और दया की मब मे अधिक भावश्यकता थी। कृतन्नता मोह और अत्याचार की भयङ्कर अनि उसको बेतरह दग्ध कर रही थी। ऐसी भयङ्कर परस्थिति मे वह ऐसे महात्माओ की प्रतीक्षा कर रहा था जो सारे समाज के अन्दर शान्ति प्रेम और सहानुभूति का मुन्दर झरना वहा दे । ठीक ऐसे भयङ्कर समय में देश के सौभाग्य ले भगवान-महावीर और भगवान् बुद्ध देव यहाँ पर अवतीर्ण हुए। परिस्थिति के पूर्ण अध्ययन के पश्चात् उन्होंने भारतवर्ष को और सारे संसार को दिव्य सदेशा दिया। उन्होने बतलाया कि यजा से और मन्त्रों से कभी शान्ति नहीं मिल सकती, इसी प्रकार हठ योग आदि (कुतपस्याएँ) भी व्यर्थ हैं। उन्होंने बतलाया कि यज्ञ, कर्मकाण्ड और कुतपस्याओं की अपेक्षा शुद्ध अन्तःकरण का होना बहुत आवश्यक है । उन्होंने साधारण जनता को अहिंसा सत्य, आचार, ब्रह्मचर्य और परिग्रह परिमाण आदि पाँच व्रतों का उपदेश दिया। उनकी निगाह में ब्राह्मण और शूद्र उच्च और नीच, अमीर और गरीब सब बरावर थे, उनका निर्वाण मार्ग सब के लिए खुला था।