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( ४७७ ) परोपकारी और उदारचित्त थे किन्तु दु:ख के साथ लिखना पड़ता है कि २६ मार्च सन् १९२० को ३१ वर्ष की छोटी अवस्थाही में आप इस संसार से विदा हो गये। ___ आपकी मृत्यु से जैन-जनता में बड़ी कमी होगई जो
आज तक न मिटी। जिसने एक दफा आप को देख लिया था वह अब भी आप का नाम स्मरण होने पर दो आंसू बहाए बिना रह नहीं सकता। आपकासोम्य स्वभाव, हँसमुख सरल-वृत्ति
और सादा मिजाज था। मगनलालजी और प्यारेलालजी अपनी मुश्तरका (जायन्ट फेमली) यानी मगनमलजी और प्यारेलालजी के संयुक्त कारोबार को दिन प्रतिदिन तरकी दे रहे हैं और वे अपने पिता और बड़े भाई के सहश सरलखमावी, उदारचित्त परिश्रमी, दयावान, धर्म के कार्य में अधिक अनुराग रखने वाले,
और जीवदया के अनन्य भक्त हैं। आप हिन्दी अग्रेजी का अच्छा नान रखते हैं, आप सदाचार की मूर्ति हैं। रात दिन आप काम में लगे रहते हैं। आप इतने लोकप्रिय हैं कि कई सभा सोसायटियों के अधिकारी हैं। पुष्कर गो आदि पशुशाला की अधिक सहायता करते हैं और आपका हाथ होने से ही उसका अस्तित्व कायम है, अहिंसा प्रचारक आप ही के खर्च से चलता है, बंगलोर मिहगला, घाटों पर जीवदया मण्डल आदि में आप ने अच्छी सहायता दी है आप के पिता के समय जिस क्रम से दान दिया जाता था वह क्रम आज भी जारी है बल्कि उससे अधिक ही दिया जाता है। आप के सात्विक विचार हैं। आप प्रपंचो से दूर रहते हैं, सत्य के प्रेमी हैं बड़े भाई मगनमल जी आनरेरी मजिस्ट्रेट है म्युनिसिपल कमिश्नर भी रहे थे, समस्त