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________________ ( ४७६ ) ही लिखा जा सका है कि आप सरकार के वड़े कृपापात्र थे। आप का शरीर पुष्ट था, वृद्धावस्था प्राप्त हो जाने पर भी आपका चेहरा दमकता था, निराशा आपके पास होकर फटकती ही न थी। आपकी मृत्यु सम्वत् १९७१ मे ६६ वर्ष की अवस्था में हो गई। आपने अन्तिम समय में वडी रकम धर्मादा खाते निकाली थी जिसका सदुपयोग आज भी जारी है। ___ आपके देहान्त के समय पुत्र-पौत्र आदि सब थे और भण्डार धन-धान्य से भरपूर था सब तरह का आनन्द था । आपके पुत्रों के नाम घनश्याम दासजी, छगनमलजी, भगनमलजी और प्यारेलालजी हैं। बड़े पुत्र धनश्यामदास सेठ साहब के गुजरने के कुछ समय बाद ही इन तीनों भाइयों से अलग हो गये थे उनकी मृत्यु ३८ वर्ष की अवस्था में हुई उनके दो पुत्र हैं। छगनमलजी, मगनमलजी और प्यारेलालजी-इन लोगो का करोबार शामिल है इनमे छगनमलजी बड़े अच्छे पुरुष हुए। इन्होने कम उम्र में ही अपने पिता की तरह राजा और प्रजा मे अधिक ख्याति पैदा करली थी। गवर्नमेंट ने आपकी योग्यता देख कर आनरेरी मजिस्ट्रेट बना दिया था और सन् १९१६ मे राय बहादुर के खिताब से सुशोभित किया था । धार्मिक कार्य मे आपकी अधिक वृति थी । सात वर्ष तक आप कान्फ्रेंस के आनरेरी सेक्रेटरी रहे। आपने अपने खर्च से हुन्नरशाला चलाई जिसमें लड़कों को खान पान और हुनर कला सीखने का सब साधन उपस्थित किया। आप भी अपने पिता की तरह अधिक दानी
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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