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मरीचि प्रकृतिवादी था, और वेद उसके तत्वानुसार होने के कारण ही ऋगवेद आदि ग्रंथों की ख्याति उसीके ज्ञान द्वारा
भगवान् महावीर
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ई है फलतः मरीचि ऋषी के स्तोत्र, वेद पुराण आदि ग्रन्थों मे हैं और स्थान २ पर जैन तीर्थकरो का उल्लेख पाया जाता है, तो कोई कारण नहीं कि हम वैदिक काल मे जैन धर्म का अस्तित्व न मानें।
( ४ ) सारांश यह है कि इन सव प्रमाणों से जैन धर्म का उल्लेख हिन्दुओ के पूज्य वेद मे भी मिलता है ।
( ५ ) इस प्रकार वेदो मे जैन धर्म का अस्तित्व सिद्ध करने वाले बहुत से मन्त्र हैं । वेद के सिवाय अन्य ग्रन्थो में भी जैन धर्म के प्रति सहानुभूति प्रकट करने वाले उल्लेख पाये जाते हैं । स्वामीजी ने इस लेख में वेद, शिव पुराणादि के कई स्थानों के मूल लोक देकर उस पर व्याख्या भी की है ।
पीछे से जब ब्राह्मण लोगों ने यज्ञ आदि मे बलिदान कर " मा हिंसात सर्व भूतानि” वाले वेद वाक्य पर हरताल फेर दी उस समय जैनियों ने उन हिंसामय यज्ञ योगादि का उच्छेद करना आरम्भ किया था बस तभी से ब्राह्मणो के चित्त में जैनों के प्रति द्वेष बढ़ने लगा, परन्तु फिर भी भागवतादि महापुराणो मे रिषभदेव के विषय मे गौरवयुक्त उल्लेख मिल रहा है।
( २२ )
अम्बुजाक्ष सरकार एम. ए. बी. एल. लिखित " जैन दर्शन जैनधर्म" जैनहितैषी भाग १२ अङ्क ९-१० में छपा है उसमे के कुछ वाक्य |
( १ ) यह अच्छी तरह प्रमाणित होचुका है कि जैन धर्म