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________________ ३३ भगवान् महावोर रखना चाहिए कि जहाँ तक समाज की नैतिक और धार्मिक परिस्थिति सन्तोष जनक नहीं होती, वहाँ तक राजनैतिक परि स्थिति भी - फिर चाहे वह बाहर से कितनी ही अच्छी क्यो न हो -- कभी समुन्नत नहीं हो सकती । समाज की नैतिक- परिस्थिति का राजनैतिक परिस्थिति के साथ कारण और कार्य का सम्बन्ध है । यदि समाज की नैतिक स्थिति खराब है, यदि तत्कालीन जनसमुदाय में नैतिकवल की कमी है, तो समझ लीजिए कि उस काल की राजनैतिक स्थिति कभी अच्छी नहीं हो सकतीइसके विपरीत यदि समाज में नैतिकवल पर्याप्त है, जनसमुदाय के मनोभावों में व्यक्तिगत स्वार्थ की मात्रा नहीं है तो ऐसी हालत मे उस समाज की राजनैतिक स्थिति भी खराब नही हो सकती । यदि भी तो वह बहुत ही शीघ्र सुधर जाती है । किसी भी राजनैतिक प्रान्दोलन को भविष्य आन्दोलन कर्ताओ के नैतिकचल का अध्ययन करने से बहुत शीघ्र निकाला जा सकता है । यह सिद्धान्त नूतन नहीं, प्रत्युत बहुत पुरातन है और इसी सिद्धान्त की विस्मृति हो जाने के कारण ही भारत का यह दीर्घ - कालीन पतन हो रहा है । अस्तु । अब आगे हम उस काल की सामाजिक और नैतिक परिस्थिति का विवेचन करते हैं। पाठक अवश्य इन सब परिस्थितियों को मनन कर वास्तविक निस्कर्ष निकाल लेंगे । ज भगवान् महावीर का जन्म होने के बहुत पूर्व आर्य्य लोगों के समुदाय पंजाब से बढ़ते बढ़ते बंगाल तक पहुँच चुके थे । उत्तम श्रावदवा और उपजाऊ जमीन को देख कर ये लोग स्थायी रूप से यहीं बसने लग गये । अब इन लोगो ने चौपाये ३
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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