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भगवान् महावीर निर्बलता पर अपना उदाहरणरुप अंकुश लगाने के लिये ही भगवान महावीर ने इतना लम्बा मौन धारण किया होगा।
भगवान् महावीर का भ्रमण पौराणिक ग्रन्थों के अन्तर्गत भगवान महावीर का भ्रमणवृतान्त भी लगभग वैसी ही अलङ्कारपूर्ण भाव में वर्णित है जैसा उनकी जीवनी का दूसरा अंश है। दीक्षा लिये के बाद लगभग बारह वर्ष तक उन्हें कैवल्य रहित अवस्था में भ्रमण करना पड़ा था। इन बारह वर्षों में उन पर आये हुए उपसगों का बडी ही सुन्दर भाषा में वर्णन किया गया है। उनके उन असह्य कठों के वर्णन को पढ़ते पढ़ते चाहे कितना ही कठिन हृदय क्यों न हो, पिघले बिना नहीं रह सकता । ___सम्भव है महावीर पर आये हुए उपसर्गों का अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन पुराणकारों ने किया हो, पर इसमे तो सन्देह नहीं कि उन बारह वर्षों के अन्दर महावीर पर कठिन से कठिन विप. त्तियों का समूह उतरा होगा । महावीर परही क्यो प्रत्येक मुमुक्षु. जन पर ऐसी स्थिति में उपसर्ग आते हैं, और अवश्य आते हैं। केवल पुगण ही नहीं, तत्व-ज्ञान भी उस बात का समर्थन करना है।
श्रात्मा ज्यों ज्यों मोक्ष के अधिकाधिक समीप पहुँचने की चंष्टा में रत होती है। जिस प्रकार किसी विश्वासपात्र सेठ के घर पर भी दिवाला निकलते समय लेनदारो का एक साथ तकाजा आने लगता है। उसी प्रकार मोक्षाभिमुख आत्मा को उसके उपार्जित किए हुए पूर्व कर्म एक साथ इकट्ठे होकर फल